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कहां आ गए हम

याद रखिए, आप हमेशा के लिए नहीं रहेंगे, पर आपका किया धरा हमेशा रहेगा। इतिहास की स्मृति शाश्वत होती है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती है। वर्तमान बंटा होता है, तो सवाल कुछ इस हिस्से, तो कुछ उस हिस्से छितरा जाते...

कहां आ गए हम
सन्नी कुमार की फेसबुक वॉल सेThu, 01 Oct 2020 11:24 PM
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याद रखिए, आप हमेशा के लिए नहीं रहेंगे, पर आपका किया धरा हमेशा रहेगा। इतिहास की स्मृति शाश्वत होती है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती है। वर्तमान बंटा होता है, तो सवाल कुछ इस हिस्से, तो कुछ उस हिस्से छितरा जाते हैं, लेकिन समय की दूरी के साथ यह खाई पट जाएगी। फिर आपको लोग कैसे याद करेंगे? किस रूप में करेंगे? और यह आरोपण सिर्फ आप पर नहीं होगा। पूरा समाज प्रश्नगत किया जाएगा। 
दुर्भाग्य क्या है, पता है? आज हम सरकार से इतनी भी अपेक्षा नहीं करते कि वह शर्मनाक घटनाओं को रोक ले, सारी मांग बस घटना के बाद के न्याय की है! सोचिए, लोकतंत्र और सरकार के प्रति मानवीय आस्था कितनी नीचे आ गई है। जिसकी अस्मिता गई, जान गई, जिसके परिवार को यह दुख आजीवन झेलना है, इस अपार दुख के बदले आपसे सिर्फ इतना मांगा जा रहा है कि दोषियों को सजा मिले। आपसे बस पारदर्शी कानूनी-प्रक्रिया के पालन की मांग है। इतना भी नहीं? इससे नीचे कुछ नहीं होता, कोई उपमा नहीं, कोई लोकापवाद नहीं। 
आज के संसार की गति तेज है। क्षण भर में ध्रुवांतर हो जाता है। अच्छा-बुरा लंबे समय तक याद नहीं रहता। हर घटना एक विषय भर रह गई है, जिस पर लोग अपनी राय व्यक्त कर देते हैं। हम लजाना भी भूल गए हैं।
 

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