फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन साइबर संसारआगा हश्र कश्मीरी 

आगा हश्र कश्मीरी 

मशहूर नाटककार, निर्देशक और शायर आगा हश्र कश्मीरी (1879-1935) के बारे में कहा जाता है कि वह खुद अपने बारे में लतीफे गढ़ा करते थे। उन्हीं का अपना गढ़ा हुआ एक ऐसा ही मजेदार लतीफा मैंने कहीं पढ़ा था। लतीफा...

आगा हश्र कश्मीरी 
असगर वजाहत की फेसबुक वॉल सेSun, 18 Nov 2018 09:32 PM
ऐप पर पढ़ें

मशहूर नाटककार, निर्देशक और शायर आगा हश्र कश्मीरी (1879-1935) के बारे में कहा जाता है कि वह खुद अपने बारे में लतीफे गढ़ा करते थे। उन्हीं का अपना गढ़ा हुआ एक ऐसा ही मजेदार लतीफा मैंने कहीं पढ़ा था। लतीफा कुछ इस तरह है कि मरने के बाद जनाब आगा हश्र कश्मीरी साहब जन्नत पहुंचे। अल्लाह मियां को जब पता चला कि दुनिया से एक ऐसा नायाब आदमी आया है, जो जिंदगी भर पीता-पिलाता ही रहा, तो हुक्म हुआ कि आगा साहब को हौज-ए-कौसर के सामने वाली कोठी अलॉट कर दी जाए। जन्नत में शराब को कौसर कहा जाता है, जिसके वहां तमाम सारे हौज और नदियां हैं।

कुछ दिनों के बाद अल्लाह मियां को अचानक आगा साहब की याद आई और उन्होंने फरिश्तों से कहा कि जाकर देखो, आगा साहब का क्या हाल है? फरिश्ते गए और उन्होंने देखा कि आगा साहब बहुत उदास बैठे हुए हैं। फरिश्तों ने उनसे पूछा, ‘हुजूर शराब की नदी के सामने आपका यह हाल?’ 
आगा साहब ने कहा, ‘इस सवाल का जवाब तो मैं अल्लाह मियां को दूंगा।’ उन्हें अल्लाह मियां के सामने लाया गया, तो आगा साहब ने कहा- ‘या रब तेरी कौसर (दैवी शराब) में न वो तल्खी है, न वो मस्ती है/ मुझको जो पिलानी हो, दुनिया से मंगाकर दे।’...

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें