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और अब जो होगा

हैदराबाद में सामूहिक बलात्कार के चारों आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने की खबर से देश में संतोष और उत्साह की लहर है। पुलिस का हथियार छीनकर भागने की कोशिश में आरोपियों के साथ हुई यह...

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ध्रुव गुप्त की फेसबुक वॉल सेMon, 09 Dec 2019 11:55 PM
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हैदराबाद में सामूहिक बलात्कार के चारों आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने की खबर से देश में संतोष और उत्साह की लहर है। पुलिस का हथियार छीनकर भागने की कोशिश में आरोपियों के साथ हुई यह मुठभेड़ कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार सही है या पुलिस द्वारा भावावेश में लिया गया कोई फैसला, इस पर बहस होगी और जांच दल भी बैठेंगे। सवाल यह भी पूछा जाएगा कि मारे गए युवकों के अपराध साबित हो चुके थे या वे महज आरोपी थे? मुझे इस मुठभेड़ के दूरगामी परिणामों की चिंता है। इस घटना के बाद भीड़ के हाथों बलात्कारियों के न्याय की घटनाओं में निश्चित रूप से इजाफा होने वाला है। इसमें दोषी ही नहीं, निर्दोष भी मरेंगे। इससे पहले कि देश भीड़ की अराजकता के हवाले हो जाए, सरकार को तुरंत कुछ ऐसे कदम उठाने होंगे, ताकि बलात्कारियों का फैसला त्वरित गति से हो और यह लोगों को दिखाई भी दे। यह काम मुश्किल भी नहीं है। देश के हर जिले में बलात्कार की घटनाओं के तेज अनुसंधान के लिए प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों का एक अलग कोषांग बने, जो एक से दो सप्ताह के भीतर अपना काम पूरा करे। हर हाल में तीन महीने के अंदर आरोपियों का फैसला हो और ऐसा न करने वाले अधिकारी दंडित किए जाएं। ऐसा हुआ तभी कानून के प्रति लोगों का भरोसा लौटेगा।
 

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