फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन साइबर संसारमुहब्बत करना सीखिए 

मुहब्बत करना सीखिए 

हमने अपना परिवार, क्षेत्र, जाति, धर्म, देश स्वयं नहीं चुना, ये हमें जन्म के साथ मिले। कंडिशनिंग के कारण ही हम इन पर गर्व कर सकते हैं, पर सोचना चाहें, तो सोचिए कि यदि आप दूसरे धर्म, जाति या देश में...

मुहब्बत करना सीखिए 
ममता सिंह की फेसबुक वॉल सेThu, 12 Sep 2019 12:27 AM
ऐप पर पढ़ें

हमने अपना परिवार, क्षेत्र, जाति, धर्म, देश स्वयं नहीं चुना, ये हमें जन्म के साथ मिले। कंडिशनिंग के कारण ही हम इन पर गर्व कर सकते हैं, पर सोचना चाहें, तो सोचिए कि यदि आप दूसरे धर्म, जाति या देश में पैदा हुए होते, तो क्या होता? मसलन आप हिंदू हैं, आपको अपने धर्म पर गर्व है। पर सोचिए कि यदि आप मुस्लिम होते, तब क्या होता? ठीक उसी तरह। आप मुस्लिम हैं, आपको अपने मजहब पर नाज है, यदि आप हिंदू होते, तब क्या होता? जाति पर गर्व करते हुए बस इतना करिए कि एक मिनट के लिए कल्पना में अपनी जाति बदल लीजिए। जाति बदलते ही आरक्षण, आचार-व्यवहार, सब पर आपकी राय बदल जाएगी। आपको अपने देश पर गर्व है, तो सिर्फ इसलिए कि यहीं आपका जन्म हुआ है। सुनकर शायद बुरा लगे, पर हममें से बहुतों (सभी को नहीं) को यूरोप, अमेरिका में बसने का मौका मिले, तो तुरंत बोरिया-बिस्तर बांध लेंगे।

विदेश इस कदर गर्व की अनुभूति कराता है कि मामा के बेटे के साले का साला भी वहां बसा हो, तो उसका जिक्र करना नहीं भूलते। तो भई, न हमने अपना परिवार खुद चुना, न अपनी जाति चुनी, न धर्म चुना, न देश, तो क्यों झगड़ना-लड़ना? क्यों गर्व या शर्म करना? कुछ करना ही है, तो मुहब्बत करिए लोगों से, माटी-पानी-हवा से और उन्हें साफ-सुथरा रखिए। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें