उन बच्चों का क्या होगा
जर्मन सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2012 से अब तक जर्मनी से करीब 960 लोगों ने आईएस में शामिल होने के लिए इराक और सीरिया का रुख किया। इसमें लगभग 200 महिलाएं थीं। सरकार का कहना है कि इसमें से एक...
जर्मन सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2012 से अब तक जर्मनी से करीब 960 लोगों ने आईएस में शामिल होने के लिए इराक और सीरिया का रुख किया। इसमें लगभग 200 महिलाएं थीं। सरकार का कहना है कि इसमें से एक तिहाई, मतलब करीब 50 महिलाएं अब तक वापस आ चुकी हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, लौटने वाली हर महिला के साथ कम से कम एक बच्चा तो है ही। जो बच्चे इन महिलाओं के साथ आए हैं, उनमें से कई शिशु हैं, लेकिन देश की घरेलू सुरक्षा एजेंसी के पास इसे लेकर कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं है। दरअसल, फेडरल कार्यालय (बीएफवी) के पास 14 साल से कम उम्र के बच्चों का डाटा इकट्ठा करने की अनुमति नहीं है। बीएफवी के प्रमुख हंस गेऑर्ग मासेन ने हाल में चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि कट्टरपंथी आतंकी समूह से लौटे बच्चे अब यहां के समाज में घुल-मिल रहे हैं। बहुत से बच्चों का ब्रेनवॉश किया जा चुका है और कट्टरपंथ की ओर इनका झुकाव साफ नजर आता है। आईएस इन बच्चों को नए जमाने का लड़ाकू बता रहा है। वॉयलेंस प्रिवेंशन नेटवर्क (वीपीएन) के थोमास म्यूके इस तर्क से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि बच्चे पीड़ित हैं। इसलिए जरूरी है कि वे एक स्वस्थ माहौल में पले-बढे़ं। इन बच्चों को अपने अतीत को पीछे छोड़ने का मौका मिलना चाहिए।