कारोबारी राष्ट्रपति के खतरे
दो सौ से भी अधिक वर्षों तक अमेरिकियों ने किसी कारोबारी को मुल्क का सदर न चुनने की पूरी सलाहीयत बरती थी। अमेरिकी राष्ट्रपति या तो वकीलों, जनरलों के बीच से चुने जाते रहे या फिर खालिस राजनीति के क्षेत्र...
दो सौ से भी अधिक वर्षों तक अमेरिकियों ने किसी कारोबारी को मुल्क का सदर न चुनने की पूरी सलाहीयत बरती थी। अमेरिकी राष्ट्रपति या तो वकीलों, जनरलों के बीच से चुने जाते रहे या फिर खालिस राजनीति के क्षेत्र से। इस अच्छी परंपरा के पीछे एक वजह यह थी कि इन क्षेत्रों के लोगों को शासन-प्रशासन का अनुभव होता है, विशेषज्ञता होती है। दूसरी तरफ, कारोबारियों के पास यह खूबी नहीं होती, और मेरी राय में इस नई सदी में अमेरिका की बुरी हालत का मुख्य कारण यही है। अमेरिका के पहले एमबीए राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने देश की बागडोर कॉरपोरेट सीईओ की तरह संभाली। बुश की ऐतिहासिक विरासत पर अंतिम निर्णय अभी भले न हुआ हो, पर लगता है, वह अमेरिका के बदतरीन पांच राष्ट्रपतियों में गिने जाएंगे। शायद वह अब तक के सबसे बुरे राष्ट्रपति जेम्स बुकानन की जगह पर रखे जाएं। आखिरकार उन्होंने ही इराक की मनहूस जंग शुरू कर देश को दिवालिएपन के कगार पर पहुंचाया। अफसोस, अमेरिकियों ने बुश युग से सबक नहीं सीखा और एक बार फिर हम सीईओ मिजाज वाले राष्ट्रपति की करतूतों को भुगत रहे हैं। टं्रप के राष्ट्रपति बनने से अमेरिका में एक शख्स बहुत खुश होगा, और वह हैं जॉर्ज डब्ल्यू बुश। 2020 के बाद शायद वह सबसे खराब राष्ट्रपति की दौड़ से खुद को अलग पाएंगे!