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नोबेल का सूखा

सवा अरब की आबादी और लगभग आठ सौ भाषाओं वाले देश के खाते में अब तक साहित्य का सिर्फ एक नोबेल होना आपको कुछ कम नहीं लगता? सौ साल से भी ज्यादा अरसा बीत गया, जब भारत को साहित्य का पहला और इकलौता नोबेल...

नोबेल का सूखा
डायचे वेले में अशोक कुमारSun, 08 Oct 2017 10:41 PM
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सवा अरब की आबादी और लगभग आठ सौ भाषाओं वाले देश के खाते में अब तक साहित्य का सिर्फ एक नोबेल होना आपको कुछ कम नहीं लगता? सौ साल से भी ज्यादा अरसा बीत गया, जब भारत को साहित्य का पहला और इकलौता नोबेल पुरस्कार मिला था। तब से रवींद्रनाथ टैगोर साहित्य के क्षेत्र में भारत के अकेले नोबेल विजेता होने का भार उठाते चले आ रहे हैं। साहित्य के  क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के सूखे की क्या वजह समझी जाए? क्या भारत में ऐसा कुछ नहीं लिखा जा रहा है, जो दुनिया को अपनी तरफ खींच पाए? या फिर भारत में जो लिखा जा रहा है, वह दुनिया तक नहीं पहुंच रहा है?

सबसे ज्यादा साहित्य का नोबेल जीतने वाले देशों की सूची पर नजर डालें, तो 15 पुरस्कारों के साथ फ्रांस सबसे ऊपर नजर आता है। इसके बाद 10-10 पुरस्कारों के साथ ब्रिटेन व अमेरिका दूसरे पायदान पर हैं। यहां तक कि पोलिश भाषा के चार लेखक इस सम्मान को हासिल कर चुके हैं, जबकि इस भाषा को बोलने वालों की तादाद साढ़े पांच करोड़ के आस-पास है। भारत में हिंदी बोलने वालों की तादाद ही 55 करोड़ से ज्यादा है... यहां न कहानियों की कमी है और न ही कहने वालों की, सवाल बस यह है कि भारत के लोग खुद अपने साहित्य और उसे दुनिया तक पहुंचाने को लेकर कितना गंभीर हैं? 

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