फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन साइबर संसारमवेशी जैसे बिकते लोग

मवेशी जैसे बिकते लोग

वे न तो मवेशी हैं, न कल-पुर्जे और न ही माल। वे अफ्रीकी पुरुष, महिलाएं और बच्चे हैं, जो अच्छे भविष्य की तलाश में यूरोप के लिए निकले थे, लेकिन उन्हें लीबिया में रोक लिया गया और अब उन्हें गुलाम बनाया जा...

मवेशी जैसे बिकते लोग
डायचे वेले वेब में फ्रेड मुवुन्यीTue, 05 Dec 2017 02:01 AM
ऐप पर पढ़ें

वे न तो मवेशी हैं, न कल-पुर्जे और न ही माल। वे अफ्रीकी पुरुष, महिलाएं और बच्चे हैं, जो अच्छे भविष्य की तलाश में यूरोप के लिए निकले थे, लेकिन उन्हें लीबिया में रोक लिया गया और अब उन्हें गुलाम बनाया जा रहा है। यकीन करना भले मुश्किल हो, लेकिन सच्चाई यही है कि इंसानों की सेल लगी हुई है। वहां खरीदार भी है। कम से कम दाम करीब 400 डॉलर लगता है। शारीरिक डील-डौल और उम्र से तय हो रहा है कि कौन कितने में बिकेगा? नीलामी करने वाले एक शख्स ने अपने विज्ञापन में पश्चिमी अफ्रीका के एक ग्रुप का हवाला दिया। विज्ञापन में कहा गया कि खेत पर काम करने के लिए मजबूत लड़के चाहिए। मैंने कभी नहीं सोचा था कि 16 से 19 शताब्दी के बीच फलने-फूलने वाली दास प्रथा 21वीं सदी में वापसी करेगी। इंसानियत के खिलाफ ऐसे अपराध किए जा रहे हैं और अधिकारों के लिए लड़ने वाले ग्रुप और सरकारें खामोश हैं। इनमें से ज्यादातर युवा नाइजर, घाना और नाइजीरिया से आए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इन तीन देशों ने भी अब तक अपने नागरिकों को गुलाम की तरह बेचे जाने के खिलाफ कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है। लीबिया में दास बनाकर रखे गए लोगों को कैसे वापस लाया जाएगा, इस बारे में कोई प्लान नहीं बनाया गया है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें