बीजू बाबू और इंडोनेशिया
भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में जवाहरलाल नेहरू और बीजू पटनायक की दोस्ती काफी भरोसेमंद मानी जाती थी। प्राचीन समय से ही भारत और इंडोनेशिया के सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, इसलिए नेहरू की दिलचस्पी इंडोनेशिया...
भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में जवाहरलाल नेहरू और बीजू पटनायक की दोस्ती काफी भरोसेमंद मानी जाती थी। प्राचीन समय से ही भारत और इंडोनेशिया के सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, इसलिए नेहरू की दिलचस्पी इंडोनेशिया की स्वतंत्रता की लड़ाई में भी थी। प्रधानमंत्री नेहरू उपनिवेशवाद के खिलाफ थे। उन्होंने बीजू पटनायक को इंडोनेशिया को डचों से मुक्त कराने में मदद करने की जिम्मेदारी दी थी। नेहरू के कहने पर बीजू पटनायक पायलट के तौर पर 1948 में ओल्ड डकोटा एयरक्राफ्ट लेकर जकार्ता पहुंचे थे। डच सेना ने पटनायक के इंडोनेशियाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश करते ही उन्हें मार गिराने की कोशिश की थी। खैर पटनायक ने विद्रोही इलाकों में दस्तक दी और वह अपने साथ प्रमुख विद्रोही सुल्तान शहरयार व सुकर्णो को लेकर दिल्ली आ गए थे और नेहरू के साथ उनकी गोपनीय बैठक कराई।
डॉ सुकर्णों आजाद इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति बने, तो पटनायक को मानद रूप से इंडोनेशिया की नागरिकता दी गई और उन्हें इंडोनेशिया के सर्वोच्च सम्मान ‘भूमि पुत्र’ से नवाजा गया था। 1996 में इंडोनेशिया ने जब अपना 50वां स्वतंत्रता दिवस मनाया, तो उसने बीजू पटनायक को सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार ‘बिंताग जसा उताम’ से सम्मानित किया था।