नेहरू के घर फिराक
फिराक गोरखपुरी जवाहरलाल नेहरू की बहुत इज्जत करते थे। सन 1948 में नेहरू जब इलाहाबाद आए, तो उन्होंने फिराक को मिलने के लिए आनंद भवन बुलवा भेजा। फिराक के भांजे अजय मानसिंह अपनी किताब फिराक गोरखपुरी : द...
फिराक गोरखपुरी जवाहरलाल नेहरू की बहुत इज्जत करते थे। सन 1948 में नेहरू जब इलाहाबाद आए, तो उन्होंने फिराक को मिलने के लिए आनंद भवन बुलवा भेजा। फिराक के भांजे अजय मानसिंह अपनी किताब फिराक गोरखपुरी : द पोएट ऑफ पेन ऐंड एक्सटेसी में लिखते हैं, ‘फिराक ने परची पर लिखा रघुपति सहाय। रिसेप्शनिस्ट ने दूसरी स्लिप पर आर सहाय लिखकर उसे अंदर भिजवा दिया। करीब 15 मिनट इंतजार करने के बाद फिराक के सब्र का बांध टूट गया और वह रिसेप्शनिस्ट पर चिल्ला उठे- मैं यहां जवाहरलाल के निमंत्रण पर आया हूं।... बहरहाल जब नेहरू को फुरसत मिले, तो उन्हें बता दीजिएगा, मैं 8/4 बैंक रोड पर रहता हूं।’
यह कहकर वह जैसे ही उठने को हुए कि नेहरू ने उनकी आवाज पहचान ली। वह बाहर आकर बोले- ‘रघुपति, तुम यहां क्यों खडे़ हो? अंदर क्यों नहीं आ गए?... पिछले 30 वर्षों से मैं तुम्हें रघुपति के नाम से जानता हूं, आर सहाय से कैसे समझता कि यह तुम हो?’ अंदर आकर फिराक नेहरू के स्नेह से बहुत अभिभूत हुए और पुराने दिनों को याद करने लगे। लेकिन एकदम से चुप हो गए। नेहरू ने पूछा- तुम अभी भी नाराज हो? फिराक मुस्कराए और जवाब दिया- तुम मुखातिब भी हो करीब भी हो/ तुमको देखें के तुमसे बात करें?