सत्यप्रकाश जी का जाना
स्वागत कक्ष में ठसाठस भीड़ उठकर खड़ी हो गई, क्योंकि मंत्रीजी बाहर आ गए थे जनता से मिलने। ‘आप लोग उन्हें आगे करें या वहीं से बताएं, जो पेट्रोल पंप के अलावा कोई और काम लेकर आए हैं?’ एक भी...
स्वागत कक्ष में ठसाठस भीड़ उठकर खड़ी हो गई, क्योंकि मंत्रीजी बाहर आ गए थे जनता से मिलने। ‘आप लोग उन्हें आगे करें या वहीं से बताएं, जो पेट्रोल पंप के अलावा कोई और काम लेकर आए हैं?’ एक भी आवाज नहीं निकली। मंत्रीजी ने फिर पूछा, ‘आप सब पेट्रोल पंप के लिए आए हैं?’ खुसफुसाहट के साथ सबने हां कहा। एक नए कहा- हम प्रधानमंत्री के क्षेत्र से हैं, बलिया से हैं। हैं पर जोर डाल दिया था।
मंत्रीजी ने जोर से कहा- ‘प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने जा रहा हूं, पूरे देश में इतना पेट्रोल पंप नहीं फैला सकता, जितना अकेले बलिया को चाहिए। सब लोग वहीं चलिए, हम भी आते हैं।’ यह कहकर मंत्रीजी अंदर अपने कमरे में चले गए।
यह मंत्री थे सत्यप्रकाश मालवीय। समाजवादी आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर, कार्यक्षेत्र इलाहाबाद। महापौर रहे। उन्हीं के कार्यकाल में सिविल लाइन में डॉ लोहिया की मूर्ति लगी।
मालवीय जी के संगी-साथी, बड़े-छोटे, सबका हिसाब लगाया जाए, तो एक बेहतर किताब निकलेगी। मंत्रीजी (मरहूम सालिकराम जायसवाल जी) छुन्नन गुरु, बाबा रामाधार यादव, विनोद दुबे, जनेश्वर मिश्र, श्याम कृष्ण पांडे, नरेंद्र देव पांडे, सतीश जायसवाल, वगैरह-वगैरह। एक स्तंभ और गिर गया।