स्थाई ग्राहक जरूरी है
किसी भी व्यवसाय में ‘स्थाई ग्राहक’ का महत्वपूर्ण योगदान है। ‘परमानेंट कस्टमर।’ अब डॉक्टरी को कई लोग व्यवसाय नहीं मानते, पर यह दुनिया के सबसे बड़े व गांव-गांव तक पसरे व्यवसायों...
किसी भी व्यवसाय में ‘स्थाई ग्राहक’ का महत्वपूर्ण योगदान है। ‘परमानेंट कस्टमर।’ अब डॉक्टरी को कई लोग व्यवसाय नहीं मानते, पर यह दुनिया के सबसे बड़े व गांव-गांव तक पसरे व्यवसायों में है। इसमें त्वचा-रोग और नेत्र-रोग के ग्राहक लीजिए। छोटे शहरों में अगर एक बार चश्मा लग गया, तो जीवन भर उसका नंबर ऊपर-नीचे होता रहेगा, चश्मा न जाएगा। इन चश्मों के स्थाई कस्टमर से उनका घर चलता रहेगा। यह है ‘लाइफ लॉन्ग कस्टमर बेस।’ दूसरा तरीका है, एक ब्रांड और पहला मजबूत ब्रांड स्थापित करना। जैसे कोई भी गोंद हो, लोग फेविकोल ही बोलने लग गए; जैसे जीरॉक्स बोलने लग गए; एक्वागार्ड बोलने लग गए। यह भी एक स्थाई ग्राहक बनाता है। तीसरा तरीका है, किसी प्रॉडक्ट से सर्विस जोड़ देना। जैसे एप्पल में बस एप्पल की चीजें चलेंगी। किंडल है, तो अमेजन के ग्राहक बन गए। आजकल शॉपिंग कार्ड पकड़ाते हैं, जो फलां दुकान में ही डिस्काउंट देगा। हमारे लिए ये तीनों चीजें इस पूंजीवादी युग में समझना जरूरी है। अब पकौड़े की दुकान ही हो, तो ऐसी लत लगाई जाए कि रोज लोग वहीं आएं। उस पकौड़े का ऐसा ‘ब्रांड नेम’ रख दें, जो कहीं और न मिले। जैसे मथुरा के पेड़े या जैन शिकंजी। और तीसरा, पकौड़े के साथ कोई सर्विस जोड़ दें। जैसे मुफ्त अखबार।