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कठिन हिंदी के वे प्रेमपत्र

सन् 1932 की बात है। गांधी के दूसरे सविनय अवज्ञा आंदोलन का समय। गांधी को सरदार पटेल और नारायण देसाई के साथ यरवदा जेल में डाल दिया गया था। उधर उनके सबसे छोटे बेटे देवदास ने सी राजगोपालाचारी की बेटी...

कठिन हिंदी के वे प्रेमपत्र
मनोज कुमार की फेसबुक वॉल सेSun, 23 Sep 2018 11:41 PM
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सन् 1932 की बात है। गांधी के दूसरे सविनय अवज्ञा आंदोलन का समय। गांधी को सरदार पटेल और नारायण देसाई के साथ यरवदा जेल में डाल दिया गया था। उधर उनके सबसे छोटे बेटे देवदास ने सी राजगोपालाचारी की बेटी लक्ष्मी से शादी की अनुमति मांगी। शादी के लिए परिवारों में सहमति बनी ही थी कि देवदास को गोरखपुर जेल में डाल दिया गया, जहां वह बीमार पड़ गए। डॉक्टर को शंका थी कि उन्हें टायफायड हो गया है। टायफायड को उन दिनों गंभीर बीमारी माना जाता था। गांधी और नजदीकी लोग खासे परेशान थे। तब तक गीता प्रेस वाले हनुमान प्रसाद पोद्दार गोरखपुर आ चुके थे। पोद्दारजी जब बंबई में थे, तभी उनका गांधी से संपर्क हो चुका था। जब देवदास बीमार पड़े, तो पोद्दारजी के पास गांधी और घनश्यामदास बिड़ला के नियमित पत्र आते रहे और पोद्दारजी ने भी देवदास की देखभाल में कोई कसर उठा नहीं रखी। वह नियमित रूप से देवदास का कुशलक्षेम सबको भेजते रहे। उसी दौर में पोद्दारजी को एक पोस्टकार्ड कोयंबतूर से आता था। वह चिट्ठी लक्ष्मी की होती थी। मानक हिंदी में लिखी उन चिट्ठियों में तमाम बातें होतीं, बस आखिरी पैराग्राफ में देवदास के स्वास्थ्य के बारे में जिज्ञासा होती थी।... तो तथाकथित कठिन हिंदी में सरकारी पत्र ही नहीं, प्रेमपत्र भी लिखे गए हैं। 

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