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बाबूजी से वह मुलाकात

गांधीजी के एक अनुयायी रहे बाबू जगजीवन राम (बाबूजी)। 1977 में जब हम काशी विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष हुए, तो बाबूजी से मुलाकात हुई। वाकया दिलचस्प है। एक शाम हम और मलिक साब बैठे बात कर रहे थे,...

बाबूजी से वह मुलाकात
चंचल की फेसबुक वॉल से Tue, 02 Oct 2018 11:38 PM
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गांधीजी के एक अनुयायी रहे बाबू जगजीवन राम (बाबूजी)। 1977 में जब हम काशी विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष हुए, तो बाबूजी से मुलाकात हुई। वाकया दिलचस्प है। एक शाम हम और मलिक साब बैठे बात कर रहे थे, इतने में फोन बजा। मलिक साहब ने फोन उठा लिया। ‘मैं बहुगुणा बोल रहा हूं।’ कौन बहुगुणा? हमने मलिक साहब से फोन खींच लिया। दुआ-सलाम के बाद बोले, ‘हम विश्वविद्यालय आ रहे हैं, आपका बयान है- विरोध होगा?’ अब तक कोई मंत्री कैंपस में नहीं बोल पाया है। ‘हम मंत्री नहीं, इलाहाबाद छात्रसंघ के पूर्व पदाधिकारी की हैसियत से आ रहे हैं।’ 

तो आइए। स्वागत है। बहुगुणाजी आए। जनता सरकार में पेट्रोलियम मंत्री थे।... जाते समय बोले- आप हमारे साथ दिल्ली चलिए, एक साहब आपको बधाई देना चाहते हैं। हम बहुगुणाजी के साथ प्लेन से लखनऊ  पहुंचे। वहां डिफेंस मिनिस्टर का स्पेशल प्लेन खड़ा था। हम बहुगुणाजी के साथ ऊपर प्लेन में पहुंचे कि बाबूजी ने बढ़कर गले लगा लिया, ‘बधाई चंचलजी, बहुत बड़ा काम किया है आपने संघ को हराकर।’ हमने बाबूजी से कहा, दो बातें हैं। आप हमारे साथ न तो ‘जी’ लगाएंगे, न ही ‘आप’ बोलेंगे। वजहें कई हैं, पर सबसे बड़ी वजह है कि आप काशी विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं।

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