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खादी पर टैक्स

स्वतंत्र भारत में यह पहला मौका है, जब खादी पर टैक्स ‘जीएसटी’ लगाया गया है। एक तरफ हमारा देश चंपारण सत्यागह शताब्दी वर्ष मना रहा है, तो दूसरी ओर गांधी की खादी पर टैक्स लगाया जा रहा है। कहा...

खादी पर टैक्स
हिन्दुस्तानFri, 14 Jul 2017 09:53 PM
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स्वतंत्र भारत में यह पहला मौका है, जब खादी पर टैक्स ‘जीएसटी’ लगाया गया है। एक तरफ हमारा देश चंपारण सत्यागह शताब्दी वर्ष मना रहा है, तो दूसरी ओर गांधी की खादी पर टैक्स लगाया जा रहा है। कहा गया है कि टैक्स इस प्रकार लगाया जाना चाहिए, जिससे इसका बोझ महसूस भी न हो और सरकार को राजस्व भी मिलता रहे। मगर खादी के साथ ऐसा नहीं हुआ है। इस पर टैक्स लगने से बुनकर भी परेशान हैं और खादी पहनने वाले भी। बुनकरों को न तो कच्चा माल मिल रहा है और न ही उनके कपड़े बाहर जा पा रहे हैं। ऐसे में खादी अन्य कपड़ों से कैसे प्रतिस्पद्र्धा कर पाएगी? एक अनुमान के अनुसार, खादी उद्योग 75 प्रतिशत प्रभावित हो चुका है। यह एक शोचनीय स्थिति है। केंद्र सरकार को इस समस्या का कोई हल जरूर निकालना चाहिए।
नवीनचन्द्र तिवारी, सेक्टर 14, रोहिणी, दिल्ली

सोशल मीडिया पर वाहवाही
वर्तमान सरकार सिर्फ सोशल मीडिया पर ही सक्रिय है, और वहां अपना गुणगान कर रही है। ऐसा लगता है कि वह तकनीकी एक्सपर्ट की सहायता से अपने प्रचार के लिए तरह-तरह के विज्ञापन बनाती है और फिर उस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करवाया जाता है। सरकार  का यह रवैया गलत है। इससे माहौल खराब हो रहा है। आज सिर्फ शक के आधार पर लोग मार दिए जाते हैं। जरूरी है कि अब कथनी और करनी का फर्क खत्म हो।
मुकेश सैनी

खिलाड़ी खिलाड़ी का फर्क
अपनी पूरी जिंदगी खेल को समर्पित करने के बाद भी महिला खिलाड़ियों को वह सम्मान और पैसा नहीं मिलता, जो पुरुषों को मिलता है। महिलाओं में राष्ट्रीय बिलियर्ड्स चैंपियनशिप विजेता कीरथ को चंद हजार रुपये बतौर इनाम दिए गए। हंसी आती है यह देखकर, जबकि पुरुष क्रिकेट में कप्तान विराट कोहली का बीसीसीआई के साथ दो करोड़ रुपये का करार है, तो महिला क्रिकेट कप्तान मिताली राज का इससे आधे से भी कम का। जब कप्तानों में यह अंतर है, तो फिर यह सहज कल्पना की जा सकती है कि बाकी खिलाड़ियों को कितना मिलता होगा? एक तरफ हम महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान देने की बात करते हैं, तो दूसरी ओर उनके साथ इतना बड़ा भेदभाव किया जाता है। यह कहां का न्याय है? महिलाओं को पूर्ण रूप से सुविधाएं और सम्मान मिले, तो वे किसी से भी पीछे नहीं हैं। हमने ओलंपिक में देखा भी है। इसीलिए सरकार को चाहिए कि महिलाओं को पूरा सम्मान देते हुए उनके  खेल को बढ़ावा दे, तभी ओलंपिक जैसे बड़े आयोजनों में हम सफल हो सकते हैं।
फिरोज अली, शाहजहांपुर

भरोसेमंद सरकार
फोर्ब्स का यह कहना कि भारत के 73 प्रतिशत लोगों का विश्वास वर्तमान सरकार में है, काफी कुछ कहता है। यह उन तमाम आलोचकों को आईना दिखा रहा है, जो मोदी सरकार पर रोजाना निशाना साधते रहते हैं। यह रिपोर्ट ये भी बताती है कि मोदी सरकार के कड़े आर्थिक फैसलों के साथ लोग खड़े हैं और एक स्वच्छ और पारदर्शी व्यवस्था बनाने की दिशा में सरकार के प्रयास का वे समर्थन करते हैं।
मोहित, इंदिरापुरम, गाजियाबाद

ट्रैफिक प्रहरी 
दिल्ली में जिस तरह से गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है, उसके मुकाबले ट्रैफिक पुलिस की संख्या काफी कम है। उस पर भी हम लोगों की जान-बूझकर यातायात नियमों का पालन न करने की आदत बन गई है। लिहाजा,  नई ट्रैफिक प्रहरी योजना मौजूं है। हां, ट्रैफिक पुलिस को भी खुद को चुस्त-दुरुस्त रखना होगा और वक्त पर चालान भेजने की व्यवस्था करनी होगी। ऐसी योजना सभी बड़े शहरों में लागू की जानी चाहिए।
मनीष जैन

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