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इजरायल में मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इजरायल दौरा देश में चर्चा का विषय बन गया है। सच्चा दोस्त कैसा होना चाहिए? इजरायल जैसा होना चाहिए। यह बात जुबान पर अपने आप आ जाती है। दुश्मनों के साथ कैसे पेश आना चाहिए?...

इजरायल में मोदी
हिन्दुस्तानWed, 05 Jul 2017 09:40 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इजरायल दौरा देश में चर्चा का विषय बन गया है। सच्चा दोस्त कैसा होना चाहिए? इजरायल जैसा होना चाहिए। यह बात जुबान पर अपने आप आ जाती है। दुश्मनों के साथ कैसे पेश आना चाहिए? इसके जवाब में भी हम हमेशा सबसे पहले इजरायल का नाम लेते हैं। भारत को तेजी से आगे बढ़ने के लिए और दुश्मन को सबक सिखाने के लिए सच्चे दोस्तों की बहुत जरूरत है। ऐसे दोस्तों का बड़ा समूह बनाना दुश्मन के लिए करारा जवाब होगा। भारत दुनिया के अलग-अलग देशों के साथ अपनी मित्रता बढ़ाना चाहता है। यह हम देश की विदेश नीति से अनुभव कर रहे हैं। लेकिन यह करते समय देश की तरफ तिरछी आंख से देखने वालों को बाजू हटाना आवश्यक है। क्योंकि राह में अच्छे-बुरे, दोनों मिलेंगे। उनमें से अच्छे को पहचानकर उसे अपने साथ लेकर आगे बढ़ते रहना महत्वपूर्ण है। 
जयेश राणे, मुंबई, महाराष्ट्र

सोचिए, आप क्या कर रहे हैं
इन दिनों सोशल मीडिया पर कई प्रकार के वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें से कुछ तो भयावह दुर्घटना को दिखाते हैं। यह बेहद अफसोस की बात है कि कोई व्यक्ति दुर्घटना में घायल होकर दर्द से कराह रहा होता है, परंतु अधिकांश लोग उस जख्मी व्यक्ति की मदद करने की बजाय उसका वीडियो बना रहे होते हैं। क्या यही मानवता है? दुर्घटनाग्रस्त लोगों की फौरन मदद करनी चाहिए, न कि उन्हें तमाशा बनाने की कोशिश की जानी चाहिए।
लछमण पुण्डीर, श्रीनगर, उत्तराखंड

अब विलाप का लाभ नहीं 
एक कर योजना के लागू होने के बाद विलाप करने से कुछ नहीं होने वाला। वास्तविकता यह है कि कर कोई भी हो, अंतत: उसका भार उपभोक्ताओं पर ही पड़ना है, व्यापारी पर नहीं। हां, इस कर से यह फायदा है कि धीरे-धीरे एक भी व्यापारी अब अपनी खरीद-बिक्री छिपा नहीं सकेगा और जब इनका पता चल जाएगा, तो उसकी आय का भी पता लग जाएगा, जिसे उसने आजतक ठीक से नहीं बताया। लेकिन 20 लाख तक का सालाना कारोबार करने वालों को इस कर के दायरे से बाहर रखने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि आज एक सब्जी, फल और गली-मोहल्ले के दुकानदार की बिक्री भी 5,500 प्रतिदिन यानी 20 लाख वार्षिक से अधिक है। वे भी धीरे धीरे इस एक कर व्यवस्था में आ ही जाएंगे। कर की चोरी का रुकना बहुत जरूरी है। इस नई कर व्यवस्था से यह निश्चित है कि आयकर के दायरे में करोड़ों लोग नए आएंगे और वर्तमान करदाताओं की असली आय पता लगेगी। यदि कर की चोरी रुक जाती है और सरकार अपने कथन से नहीं मुकरती, तो अगले वित्त वर्ष यानी 2018-19 में आयकर की दरों में वह कमी करेगी। बस यही उपभोक्ता का लाभ हो सकता है। बाकी तो कोई भी कर हो या गैस, तेल आदि के वितरकों के कमीशन का बोझ, वह उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है।
यश वीर आर्य

समाज को बांटते लोग
पश्चिम बंगाल के चौबीस परगना जिले में फेसबुक पर किसी टिप्पणी को लेकर बवाल खड़ा हो गया। सोशल मीडिया में की जाने वाली अनेक टिप्पणियां विवादास्पद होने   के कारण सामाजिक समरसता को नुकसान पहुंचाने वाली होती हैं। आधुनिक संचार माध्यम समाज को संगठित करने और लोगों की जीवनचर्या को सरल बनाने के लिए हैं या देश में अलगाव व नफरत बढ़ाने के लिए, यह विचारणीय बिंदु है। ऐसे में, जरूरी है कि ऐसी टिप्पणियों पर अंकुश लगाया जाए। साथ ही ऐसे तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई अपेक्षित है, जो सूचना तकनीक के माध्यमों से नफरत व अलगाव परोसने जैसा जघन्य अपराध कर रहे हैं। चाहे वे किसी भी धर्म या संप्रदाय से संबंध रखते हों। राष्ट्रीय एकता और अखंडता को चुनौती देने वाले असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटा जाना समय की मांग है। 
सुधाकर आशावादी, मेरठ

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