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सराहनीय पहल

सराहनीय पहल असम विधानसभा द्वारा पारित विधेयक ने एक अनूठी मिसाल पेश की है। इसके अंतर्गत सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों को अपने बुजुर्ग माता-पिता व दिव्यांग भाई-बहन को अपने साथ न रखने की स्थिति...

सराहनीय पहल
हिन्दुस्तानMon, 18 Sep 2017 10:21 PM
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सराहनीय पहल
असम विधानसभा द्वारा पारित विधेयक ने एक अनूठी मिसाल पेश की है। इसके अंतर्गत सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों को अपने बुजुर्ग माता-पिता व दिव्यांग भाई-बहन को अपने साथ न रखने की स्थिति में उनकी तनख्वाह से 10 फीसदी राशि काटकर उसे माता-पिता व दिव्यांग भाई-बहन को दी जाएगी। इस कदम को उठाने के पीछे का मुख्य कारण है, बहुत सी संतानों द्वारा माता-पिता को साथ न रखकर वृद्धाश्रम भेजना। संयुक्त परिवारों की अपेक्षा एकल परिवारों में ऐसी समस्याएं ज्यादा दिखाई देती हैं, जहां बच्चों के पास अपने माता-पिता के लिए वक्त ही नहीं है। दरअसल, एकल परिवार में रहने के कारण बच्चा शुरू से ही एकाकी जीवन जीने का आदी हो जाता है, पारिवारिक आत्मीयता का भाव उसके अंदर पैदा ही नहीं होता। इसी आत्मीयता के अभाव के कारण वह वृद्ध माता-पिता के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाता। बहरहाल, आशा है कि असम सरकार द्वारा उठाया गया यह महत्वपूर्ण कदम अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनेगा।
अनुपमा अग्रवाल
 आगरा रोड, अलीगढ़

पेट्रोल की बढ़ती कीमत
पिछले कुछ दिनों में देश में पेट्रोल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है, कई राज्यों में यह भाव 80 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है। एकाएक पेट्रोल के दाम का यूं बढ़ना समझ से परे है, क्योंकि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार कम हो रही हैं, बावजूद इसके भारत में पेट्रोल सस्ता नहीं हो पा रहा है। मुश्किल यह है कि सरकार ने भी पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी, जो दस रुपये लीटर थी, बढ़ाकर 22 रुपये प्रति लीटर कर दी। यदि सरकार इसको कम कर दे, तो आम जनता को पेट्रोल मूल्य में कुछ राहत मिल सकती है।
संजय डागा
 देवी अहिल्या कॉलोनी, हातोद

पत्रकारों की सुरक्षा
पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर हमला है। समाज में फैली धार्मिक कुरीतियों और सच्चाई को उजागर करने वाले पत्रकारों की जान पर खतरा हमेशा बना रहता है। धार्मिक कुरीतियों और भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले लोगों को सुरक्षा देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। मगर हमारे देश में अधिकतर मामलों में ऐसा होता नहीं दिखता। सरकारों को ऐसे लोगों को सुरक्षा देनी ही चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र में आजाद प्रेस की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है।
युधिष्ठिर लाल कक्कड़ 
गुरुग्राम, हरियाणा

वापसी के संकेत
हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के चुनाव में जिस तरह से दो अहम सीटें कांग्रेस के छात्र विंग के पाले में गईं, राहुल गांधी की छवि में बदलाव आया, और उन्हें लेक्चर देने के लिए अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में बुलाया गया; जिस तरह दिल्ली के बवाना विधानसभा उप-चुनाव में कांग्रेस पार्टी के वोट प्रतिशत में उछाल आया और अन्य राज्यों के निकाय चुनावों में उसे जीत मिली है, उसने कांग्रेस में कुछ जान फूंक दी है। इसके अस्तित्व पर उठ रहे सवालों पर अब विराम लगने लगा है। यह गति आगे भी बरकरार रखने की जरूरत है। कांग्रेस को यदि अपनी साख बचानी है, तो इसे विपक्ष की भूमिका सही से अदा करनी पड़ेगी और हर जगह अपने संगठन व आधार को मजबूत करना होगा। कांग्रेस के लिए जनता की मूलभूत मांगों का नेतृत्व करना जरूरी है। नहीं तो 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना संभव नहीं होगा।
दीपांशु अरोड़ा, जीटीबी नगर

ट्रेनों में बोगियां बढ़ाएं
हाल ही में जापानी पीएम शिंजो अबे के साथ हमारे पीएम मोदी जी ने बुलेट ट्रेन के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सभी देशवासियों के लिए गौरव का विषय है, लेकिन तकनीक के इस युग में भारतीय रेल की बुनियादी जरूरतें अब भी अधूरी हैं। विगत दिनों हुए हादसों में से ज्यादातर इसी कमी की वजह से हुए हैं। एक बड़ी कमी तो एक्सप्रेस व मेल ट्रेनों में जनरल कोचों की संख्या कम होना है। सरकार को ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ट्रेनों में जनरल कोचों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
रजत यादव, फतेहगंज पूर्वी, बरेली

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