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शिक्षा के मंदिर पर दाग

सीवान के चैनपुर में शिक्षा के मंदिर में किया गया दुष्कर्म झकझोरने वाली घटना है। शिक्षकों द्वारा ही जब ऐसे घिनौने कृत्य अंजाम दिए जाएंगे, तो यही समझा जाएगा कि समाज का एक बहुत बड़ा विश्वास दांव पर लग...

शिक्षा के मंदिर पर दाग
हिन्दुस्तानFri, 24 Jan 2020 11:29 PM
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सीवान के चैनपुर में शिक्षा के मंदिर में किया गया दुष्कर्म झकझोरने वाली घटना है। शिक्षकों द्वारा ही जब ऐसे घिनौने कृत्य अंजाम दिए जाएंगे, तो यही समझा जाएगा कि समाज का एक बहुत बड़ा विश्वास दांव पर लग गया है। शिक्षकों को आज भी समाज की रीढ़ समझा जाता है। आने वाली पीढ़ियों को वही संवारते हैं। अगर शिक्षक का चोला पहनकर लोग ऐसे अपराध को अंजाम देने लगेंगे, तो शिक्षक समुदाय से लोगों का भरोसा उठने लगेगा। इस मामले में हमें दोषियों को दंडित और छात्रा को त्वरित न्याय दिलाने का प्रयास करना चाहिए। समाज में यह विश्वास कायम रहना चाहिए कि शिक्षा का मंदिर अब भी बेटियों के लिए सुरक्षित है। शिक्षक समुदाय को ही इसके लिए आगे आना चाहिए।

उत्कर्ष रंजन तिवारी
 मधवापुर, सिवान

अच्छा फैसला

नागरिकता संशोधन कानून पर रोक न लगाने का सर्वोच्च अदालत का फैसला सही है। चूंकि अब निर्णय सुप्रीम कोर्ट को ही करना है, इसलिए सड़कों पर होने वाले प्रदर्शनों पर रोक लगनी ही चाहिए। देखा यह भी गया है कि अदालत द्वारा रोक लगा देने से एक पक्ष ज्यादा उत्साहित हो जाता है और बार-बार इसका इस्तेमाल मामले को लटकाने के लिए करता है। इसलिए आगे भी अगर इसी तरह रोक न लगाने की नजीर अदालत द्वारा पेश की जाएगी, तो काफी अच्छा होगा। हर पक्ष को न्याय मिलना जरूरी है। अदालत इसी उद्देश्य से अब तक फैसला देती रही है और आगे भी देती रहेगी। 

सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम


बेरोजगारी का बढ़ना

भारत में जिस तरह से आबादी बढ़ रही है, उसी तरह बेरोजगारी भी बढ़ रही है, जो सरकार के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी चिंता का विषय है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट में ऐसा अनुमान लगाया गया है कि भारत में उच्च शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी दर बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंच गई है। इस पर हम सभी को गौर करना चाहिए। आखिर सरकार बेरोजगारी की समस्या के निराकरण को लेकर गंभीर क्यों नहीं हो रही है? इस समस्या का समाधान अभी तक क्यों नहीं खोजा गया है? माना जाता है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दो गलत फैसले देश के लिए काफी नुकसानदायक रहे- जीएसटी और नोटबंदी। बेरोजगारी की दर बढ़ाने में इन दोनों की बड़ी भूमिका रही, क्योंकि इन दोनों के कारण देश के कई लघु और मध्यम उद्योग प्रभावित हुए और उनमें कार्यरत लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। जाहिर है, बढ़ती बेरोजगारी से पार पाना भारत के लिए काफी बड़ी चुनौती है। देश-विदेश का सुस्त आर्थिक माहौल इस तस्वीर को और बिगाड़ सकता है। सरकार को जल्द ही इस पर सोचना चाहिए।

हिमांशु शेखर झा, मधुबनी, बिहार


पॉलिथीन के खिलाफ

आज पूरा देश स्वच्छता अभियान को लेकर संजीदा है, ताकि किसी भी तरह से देश और समाज स्वच्छ रह सके। ‘चारों तरफ गंदगी ही गंदगी है, फिर चाहे वह समाज में हो या राजनीति में’। ऐसे में, उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगाकर एक सराहनीय कार्य किया था। मगर यह ज्यादा दिन टिक नहीं सका। नतीजतन, आज शहर ही नहीं, गांवों की नालियां भी पॉलिथीन से बुरी तरह अटी पड़ी हैं। अभी तक तो बाजार से सब्जियां आदि पॉलिथीन में आती थीं, परंतु अब होटलों से पकी-पकाई सब्जियां, यहां तक कि चाय आदि भी पॉलिथीन में आने लगी हैं। पॉलिथीन के प्रदूषण से शरीर पर कितना दुष्प्रभाव पड़ता है, यह जानते हुए भी लोग इससे परहेज नहीं करते। ऐसे में, सरकार को चाहिए कि सख्त कानून बनाकर पॉलिथीन बनाने वाली फैक्टरियों को वह  प्रतिबंधित कर दे और पॉलिथीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दे।

विजय पाल सिंह
 

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