विपक्ष की हताशा
विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के नेता कल तक पानी पी-पीकर एक-दूसरे को कोसते फिरते थे, लेकिन अब वे एकजुट होकर भाजपा को हराने का प्रयास कर रहे हैं। यह उनकी हताशा ही कही जाएगी। जब सामने वाला ताकतवर दिखाई...
विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के नेता कल तक पानी पी-पीकर एक-दूसरे को कोसते फिरते थे, लेकिन अब वे एकजुट होकर भाजपा को हराने का प्रयास कर रहे हैं। यह उनकी हताशा ही कही जाएगी। जब सामने वाला ताकतवर दिखाई देता है, तो मनोबल टूटता ही है। फिर भी, इस जुटान से ऐसा नहीं लग रहा कि विपक्ष अपने मिशन में कामयाब हो पाएगा। दरअसल, परिवारवाद और जातिवाद की राजनीति से जनता ऊब चुकी है। मतदाता अब काफी जागरूक हो चुका है। विपक्षी दल भले देश के कर्तव्यनिष्ठ प्रधानमंत्री का अपमान ‘चौकीदार चोर है’ कहकर कर रहे हों, लेकिन जनता जानती है कि वे स्वयं अपने-आप में कितने ईमानदार हैं? इस सरकार के कार्यकाल में विकास के काम तो हुए ही हैं, विदेश में भी भारत की पहचान बनी है। इसलिए प्रधानमंत्री पर लगाए जा रहे आरोप राजनीति से प्रेरित लगते हैं। मतदान में जनता उचित उम्मीदवारों का ही चुनाव करेगी।
श्याम सिंह, माछरा, मेरठ
शहीद होते जवान
सरहद पर सैनिकों की शहादत पर चिंता प्रकट करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहनराव भागवत ने सरकार को लताड़ते हुए कहा कि जब युद्ध नहीं जारी, तो सैनिक क्यों शहीद हो रहे हैं? यह बयान सरकार को जरूर बेचैन करेगा और विपक्ष को हमलावर होने के मौके देगा। मगर इसमें कोई दोराय नहीं है कि जिस प्रकार सीमा पर आए दिन देश के जवान शहीद हो रहे हैं और जिसका कोई हल नहीं निकाला जा रहा, उससे मोदी सरकार की नाकामियां उजागर होती हैं। देश का हर नौजवान सरकार से यह पूछना चाह रहा होगा कि वे वादे कहां गए, जिसे पूरा करने की बात पिछले लोकसभा चुनावों में प्रचार-प्रसार के दौरान की गई थी? जवानों की शहादत को नहीं रोक पाना हमारी बड़ी विफलता है।
रंजीत सिंह, मेरठ
डॉक्टरों का काला धन
राजनेताओं, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और धनाढ्य जनों पर आयकर के छापे पड़ना आम बात रही है, लेकिन जब डॉक्टरों के ठिकानों पर आयकर के छापे में अकूत धन बरामद हो, तो प्रबुद्ध समाज को सचेत हो जाना चाहिए। यह सही है कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों के आर्थिक दोहन के लिए घटिया हथकंडे अपनाए जाने की खबरें आती रही हैं, लेकिन लखनऊ के एक डॉक्टर की अकूत काली कमाई सोचने को मजबूर करती है। डॉक्टरों को पहले ईश्वर के समान माना जाता था, लेकिन अब उन्होंने ईश्वर जैसा आचरण छोड़ दिया है। कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो सभी डॉक्टर मरीजों के दोहन में जुटे हैं। इस सबसे यही लगता है कि डॉक्टर धन कमाने के लिए अब किसी भी हद तक गिरने को तैयार हैं। ऐसे में, सरकार को चाहिए कि वह ऐसा कुछ ठोस प्रयास करे कि डॉक्टरों को अनैतिक कर्मों से दूर रखा जा सके।
सत्य प्रकाश, लखीमपुर
बेरोजगार होती महिलाएं
कहते हैं कि जिस देश में महिलाएं सशक्त होती हैं, वह राष्ट्र ऊंचाइयों को छूता है। महिला सशक्तीकरण की नींव औरतों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर ही रखी जा सकती है। लेकिन अपने यहां महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर होती जा रही हैं। हाल में आई सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल बेरोजगार हुए लोगों में 88 लाख महिलाएं हैं। इनमें से 65 लाख महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार हुईं, जबकि 23 लाख महिलाएं शहरी क्षेत्रों में। इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं के बेरोजगार होने से महिला सशक्तीकरण कार्यक्रमों को जबर्दस्त धक्का लगा है। आर्थिक स्वतंत्रता ही महिलाओं को वास्तविक ताकत दे सकती है, इसलिए सरकारों को इन आंकड़ों को सुधारने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। पर क्या वे ऐसा करेंगी?
विशेक, दिल्ली विश्वविद्यालय