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दहशतगर्दी के खिलाफ

पुलवामा हमले का उचित जवाब क्या होना चाहिए? मन को विचलित कर देने वाली इस आतंकी घटना के बाद समूचा देश गुस्से में उबल रहा है, जो स्वाभाविक है। मगर चूंकि पड़ोसी देश हमसे एक बड़ा छद्म युद्ध लड़ रहा है, इसलिए...

दहशतगर्दी के खिलाफ
हिन्दुस्तानSun, 17 Feb 2019 11:58 PM
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पुलवामा हमले का उचित जवाब क्या होना चाहिए? मन को विचलित कर देने वाली इस आतंकी घटना के बाद समूचा देश गुस्से में उबल रहा है, जो स्वाभाविक है। मगर चूंकि पड़ोसी देश हमसे एक बड़ा छद्म युद्ध लड़ रहा है, इसलिए इसे लड़ने और इसमें जीत हासिल करने के लिए हमारी रणनीति भी दीर्घकालिक और ठोस होनी चाहिए। सबसे बड़ी बात, हमें सामने से जवाब देने के साथ-साथ गुरिल्ला रणनीति भी अपनानी होगी। विदेशी आतंकियों के साथ-साथ उसके स्थानीय मॉड्यूल को भी खत्म करना होगा। और हां, हथियार के साथ-साथ प्रभावशाली खुफिया तंत्र का भी बराबर सहयोग लेना होगा। सफलता की मंजिल इन्हीं रास्तों से गुजरकर मिलेगी।

चंदन कुमार, देवघर


कर्ज माफी का झुनझुना

आगामी आम चुनावों के लिए राजनीतिक दल किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा अपने प्रचार-प्रसार में जोर-शोर से उठा रहे हैं, और अन्नदाताओं को अपनी तरफ लुभाने की खूब कोशिश कर रहे हैं। हाल-फिलहाल तीन राज्यों की सत्ता में आई कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ किया भी है। लेकिन विडंबना है कि सरकार यह समझ नहीं रही है कि कर्ज माफी से देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है। इसका एक उदाहरण पिछली यूपीए सरकार है। 2008 के आम बजट में उसने किसानों की कर्ज माफी की बात कही, और करीब 70,000 करोड़ रुपये के कर्ज माफ भी किए। लेकिन उसके इस एक कदम से देश की अर्थव्यवस्था को भारी धक्का लगा। इसकी भरपाई के लिए सरकार ने कर बढ़ा दिए थे, जबकि इस कर्ज माफी का फायदा सभी जरूरतमंद किसानों को नहीं मिला था। साफ है, कर्ज माफी न तो किसानों के हित में है और न देश की अर्थव्यवस्था के हित में। इसलिए राजनीतिक दलों को इस तरह के वादों से बचना चाहिए।

विशेक, दिल्ली विश्वविद्यालय


ऑनलाइन गेम से बचें

पबजी गेम बच्चों के लिए काफी खतरनाक है। इससे बच्चों की मानसिक क्षमता नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है। दिल्ली सरकार के दिल्ली कमिश्नर फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने भी सभी स्कूलों को नोटिस भेजकर कुछ ऐसा ही कहा है। इस तरह के गेम महिला-विरोधी, नफरत, छल-कपट और बदला लेने की भावना से भरे होते हैं। यही नहीं, ज्यादा वक्त तक इन गेमों को खेलने से बच्चे पढ़ाई-लिखाई से दूर होते जाते हैं, जिस कारण उनका रिजल्ट खराब होता है। हालांकि इसमें कुछ हद तक दोषी अभिभावक भी हैं। बच्चे मानसिक रूप से इतने परिपक्व नहीं होते कि वे इस तरह के गेम के नुकसान को पूरी तरह समझ सकें। इसीलिए माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को पूरा ख्याल रखें और उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। यदि बच्चों को मां-बाप का सान्निध्य मिलेगा, तो वे ऐसे ऑनलाइन गेम से खुद ब खुद दूर हो जाएंगे।

आदित्य श्रीवास्तव, पतौरा मोतिहारी


ओबीसी की पीड़ा

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निर्विवाद रूप से सबसे लोकप्रिय नेता हैं। अपने कड़े फैसलों से वह देश ही नहीं, दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने करीब-करीब समाज के हर वर्गों का ध्यान रखा और सबके लिए कुछ न कुछ किया। यहां तक कि सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को भी शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था कर दी। मगर उन्होंने अति पिछड़े वर्गों को क्यों नजरंदाज कर दिया? जबकि यह ऐसा वर्ग है, जिसे पिछड़ा वर्ग में रहते हुए भी आज तक इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया। जातियों को उप-वर्गों में बांटने के लिए जी रोहिणी समिति का गठन किया गया है, लेकिन उसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। प्रधानमंत्री मोदी को इस रिपोर्ट को लेकर सक्रियता दिखानी चाहिए। अन्यथा यह वर्ग खुद को ठगा महसूस करेगा। 

अरुणेंद्र कुमार संदल, सोनभद्र
 

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