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भ्रष्टाचार और असुरक्षा

भले ही हमारा देश आज आजाद है, पर कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जिनमें देश को आजाद होना अब भी बाकी है। इसमें भ्रष्टाचार और असुरक्षा सबसे प्रमुख हैं। अगर हम असुरक्षा की बात करें, तो आज भी सबसे ज्यादा...

भ्रष्टाचार और असुरक्षा
हिन्दुस्तानThu, 16 Aug 2018 11:45 PM
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भले ही हमारा देश आज आजाद है, पर कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जिनमें देश को आजाद होना अब भी बाकी है। इसमें भ्रष्टाचार और असुरक्षा सबसे प्रमुख हैं। अगर हम असुरक्षा की बात करें, तो आज भी सबसे ज्यादा असुरक्षित महिलाएं हैं। भले ही हमारे समाज में महिलाओं को देवी का रूप कहा जाता है, पर हकीकत में उन्हें देवी की तरह नहीं देखा जाता। इसीलिए प्रतिदिन उनसे जुडे़ अपराधों में वृद्धि हो रही है। और जब समाज में उन्हें समानता का दर्जा ही हासिल नहीं है, तो फिर उन्हें इंसाफ कहां से मिलेगा? लोग औरतों के खिलाफ तरह-तरह की बातें करते हैं। क्या यही देश की संस्कृति है? महिलाओं को सम्मान देने की बात हर धर्म में कही गई है, फिर भी ऐसा नहीं होता। लिहाजा जरूरत पुरुष वर्चस्ववादी सोच बदलने की है। ठीक इसी तरह की सोच भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए भी चाहिए। पूरी व्यवस्था में भ्रष्टाचार का घुन लग चुका है। इसे तत्काल दूर किया जाना चाहिए। 

शादमा मुस्कान


अक्षम्य लापरवाही

मध्य प्रदेश के शिवपुरी में सुल्तानगढ़ जल प्रपात में अचानक पानी बढ़ जाने से वहां पिकनिक मनाने गए कई लोग बह गए। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि बांध से अचानक बिना सूचना के पानी छोड़े जाने से झरने में बाढ़ आ गई और जान की हानि हुई है। अगर ऐसा है, तो इसकी तुरंत जांच होनी चाहिए। हालांकि पूर्व में भी ऐसी ही एक घटना हरसूद में हो चुकी है। तब भी बिना सूचना के इंदिरा सागर बांध से पानी छोडे़ जाने पर कई लोग पानी में बह गए थे। ऐसे में, जरूरी है कि जब भी बांध से पानी छोड़ा जाए, तो जहां-जहां खतरा हो, वहां के प्रशासन को इसकी पूर्व सूचना दी जाए। इस तरह की पूर्व सूचना न देना एक अक्षम्य लापरवाही है।

महेश नेनावा, इंदौर, मध्य प्रदेश


अच्छी पहल

कुर्त लेविन का कथन है कि यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो, तो इसे बदलने की कोशिश करो। इस कथन के संदर्भ में हमें भुखमरी की समस्या को देखना चाहिए। अभी कुछ दिन पहले कथित विकसित राजधानी दिल्ली में तीन मासूम बच्चियां भुखमरी का शिकार बनी थीं। मगर हमारे माननीयों ने इस पर खेद व्यक्त करते हुए आरोप-प्रत्यारोप भी खूब लगाए। यानी सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों से बचते दिखे। दुनिया के साथ-साथ भारत भी गरीबी और भुखमरी से जूझ रहा है, फिर भी होटलों, पार्टियों व कई घरों में अन्न खूब बर्बाद किया जाता है। इसके खिलाफ बेंगलुरु में लोगों ने एक सार्थक पहल की है। वहां घरों व होटलों/ पार्टियों में बचे खाने को अच्छी तरह पैक करके उसे जरूरतमंदों के बीच बांटा जाता है। इसका उद्देश्य है कि भुखमरी का शिकार कोई न हो। सरकार को भी इससे सीख लेते हुए ऐसी कोई योजना बनानी चाहिए, ताकि देश में कोई भूख से न मरे।

संजय कुमार


प्रधानमंत्री का संबोधन

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से दिए जाने वाले प्रधानमंत्री के भाषण से लोगों ने बहुत-सी उम्मीदें पाल रखी थीं। मगर इस बार भी प्रधानमंत्री ने किसान, जवान, महिला अधिकार, अंतरिक्ष और विज्ञान तक ही अपनी बातें सीमित रखीं। जनता प्रधानमंत्री से यह उम्मीद कर रही थी कि वह गरीबी, बेरोजगारी, बढ़ती जनसंख्या जैसी गंभीर चुनौतियां और धार्मिक असहिष्णुता की घटनाओं पर भी कुछ बोलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। साफ है कि लोगों को निराशा हाथ लगी है। इसी तरह, आदर्श ग्राम योजना की चर्चा भी जरूरी थी, जो गांवों का जीर्णोद्धार करने वाली योजना है और गति नहीं पकड़ सकी है। स्वच्छ भारत मिशन का भी यही हाल है। ऐसे में, आगे की भला क्या उम्मीद पालें?

हितेंद्र डेढ़ा 
चिल्ला गांव, दिल्ली

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