फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन मेल बॉक्सपद्मावती पर जारी हंगामा

पद्मावती पर जारी हंगामा

पद्मावती पर जारी हंगामा पद्मावती आई तो थी मनोरंजन के लिए, मगर उसे क्या पता था कि उसके आने से यहां के लोगों की भावनाएं आहत होंगी। ठेस भी क्या बला है कि जब चाहो, तभी लगती है। वरना इतिहास के पन्नों में...

पद्मावती पर जारी हंगामा
हिन्दुस्तानMon, 20 Nov 2017 10:38 PM
ऐप पर पढ़ें

पद्मावती पर जारी हंगामा
पद्मावती आई तो थी मनोरंजन के लिए, मगर उसे क्या पता था कि उसके आने से यहां के लोगों की भावनाएं आहत होंगी। ठेस भी क्या बला है कि जब चाहो, तभी लगती है। वरना इतिहास के पन्नों में दबी, धूल में सनी पद्मावती कहां पड़ी थी, किसे पता था? जायसी की रचनाओं से उपजी पद्मावती जाने कितनी हकीकत और कितना फसाना है, पर इससे हमारी भावनाएं ऐसी भड़कीं कि शिक्षा, रोजगार, भुखमरी जैसे सभी मुद्दों को हमने छोड़ दिया। हमारे बीच आज भी कई पद्मावतियां हैं, जो अपनी अस्मिता के लिए चीख-चिल्ला रही हैं। तब हमें कोई ठेस नहीं लगती। महिलाओं के भोंडे विज्ञापनों से भी हमारी भावना आहत नहीं होती। हल्ला तो तब होता है, जब ‘तमाशे’ पर सियासत से लेकर सरकार तक की भौंहें तन जाती हैं। इससे पहले कि इतिहास से छेड़छाड़ हो, पद्मावती तुम लौट जाओ। तुम्हारी नाक कटे न कटे, हमारी जरूर कट जाएगी।
एमके मिश्रा, रातू, रांची

बॉन सम्मेलन का नतीजा 
पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर जर्मनी के बॉन शहर में चल रहा 23वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन समाप्त हो गया। इस सम्मेलन में 195 देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इसमें विकसित और विकासशील देशों के बीच अनबन तय थी, और वह हुई भी। जलवायु परिवर्तन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने पर कुछ देशों ने सहमति जताई, तो कुछ देश पेरिस सम्मेलन से ही संतुष्ट रहे। यह विडंबना है कि पर्यावरण की वैश्विक समस्या को लेकर कुछ देश या कुछ लोग ही चिंतित हैं, बाकी के लिए मानो यह कोई समस्या ही नहीं। आम राय नहीं बनने की सूरत में ही अब तक जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया भर में ठोस नीति नहीं बन सकी है। ऐसे में, जरूरी यही है कि सभी देश चिंतित हों और आम राय बनाएं, तभी पर्यावरण का संरक्षण संभव है।
अंकित कुंवर, सीवान

कितने तैयार हैं हम 
अभी कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि अमेरिका व उत्तर कोरिया के बीच कभी भी युद्ध आरंभ हो सकता है। कुछ समय बाद यह खबर कमजोर पड़ गई, पर फिर से ऐसी खबरें आने लगी हैं कि अमेरिका उत्तर कोरिया पर कभी भी परमाणु हमला कर सकता है। इन खबरों को देखकर यह सवाल उठता है कि क्या हमारी सरकार ने ऐसी कोई व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत परमाणु हमले के दौरान नागरिक सुरक्षित रह सकें। इसका जवाब है, नहीं। आज लगभग हर देश परमाणु ताकत से लैस हैं या फिर परमाणु शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर हैं। ऐसे में, बचाव के साधन पर पर्याप्त गौर करना ही चाहिए। हमारी सरकार की इसे लेकर उदासीनता निराशाजनक है। जब जापान के नागासाकी और हिरोशिमा के उदाहरण हमारे सामने हैं, तो हमें इस दिशा में काम करना ही चाहिए।
श्रीराम, रावता मोड़, नई दिल्ली

भाजपा बनाम कांग्रेस
गुजरात में भाजपा के पास विकास का मुद्दा है, तो कांग्रेस पाटीदार के भरोसे है। ऐसे में, सवाल यह है कि इस बार गुजरात किस पार्टी की होगी? सवाल यह भी जनता के जेहन में है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई, तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा? अभी यहां भाजपा सत्ता में है और विजय रुपाणी मुख्यमंत्री हैं, जो जैन समाज से हैं। इनके टक्कर का कोई कद्दावर नेता कांग्रेस में नहीं दिख रहा। प्रदेश में राजनीतिक बदलाव की परंपरा पिछले कई वर्षों से नहीं रही है, पर कांग्रेस को भरोसा है कि इस बार वह सरकार बनाएगी। हालांकि सच यह भी है कि गुजरात में विकास का श्रीगणेश भाजपा ने किया था, इसीलिए वह अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिख रही है। यहां नोटबंदी और जीएसटी ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें कांग्रेस भुनाने की कोशिश कर रही है। इसका जनता पर क्या असर होगा, यह चुनावी नतीजा ही बताएगा। मगर जो हालात हैं, उनमें गुजरात में कांग्रेस की राह आसान नहीं दिख रही।
कांतिलाल मांडोत, सूरत

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें