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क्या करें किसान

क्या करें किसान  हाल के दिनों में प्रदूषण के स्तर में जबर्दस्त वृद्धि के लिए सरकार ने किसानों को दोषी ठहराया है। उसका कहना है कि किसान फसल की कटाई के बाद जान-बूझकर पराली जला रहे हैं। यह बिल्कुल...

क्या करें किसान
हिन्दुस्तान।,नई दिल्ली।Thu, 07 Nov 2019 11:35 PM
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क्या करें किसान 
हाल के दिनों में प्रदूषण के स्तर में जबर्दस्त वृद्धि के लिए सरकार ने किसानों को दोषी ठहराया है। उसका कहना है कि किसान फसल की कटाई के बाद जान-बूझकर पराली जला रहे हैं। यह बिल्कुल सच है कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है। लेकिन हमें किसानों की स्थिति को भी समझना चाहिए कि आखिर वे ऐसा करने के लिए क्यों मजबूर हैं? दरअसल, क्लियरिंग में इस्तेमाल होने वाली मशीन किसानों के लिए महंगी पड़ती है। फसल कटने के बाद बहुत कम समय बचता है, क्योंकि उन्हें दूसरी फसल भी उगानी है। इसलिए वे पराली और अवांछित चीजों को जलाते हैं, ताकि खेती के लिए खेत का पैच साफ हो सके। असल में, किसानों और सरकारी कृषि अधिकारियों के बीच संवाद की भी कमी है। यह प्रशासन का फर्ज है कि खेत साफ करने के पर्यावरण-अनुकूल तरीकों के बारे में किसानों को अवगत कराए। सरकार को किसान के साथ संवाद शुरू करना चाहिए और उन्हें उनकी दिक्कतों से राहत दिलानी चाहिए। किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई से इस मामले का समाधान नहीं होगा। 
अमन कुमार

लापरवाही और महंगाई
‘प्याज बाजार की परतें’ संपादकीय पढ़ा। सिर्फ प्याज ही नहीं, ज्यादातर कृषि उत्पादों की भंडारण व्यवस्था सही नहीं है। हर साल बरसात में खुले में होने के कारण अनाज के भीगने और सड़ने की खबरें आती हैं। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने भी माना है कि केंद्रीय बफर स्टॉक में 57,000 टन प्याज था, जिसे रियायती दर पर बेचा जा रहा है और इस स्टॉक का 25 फीसदी हिस्सा खराब हो गया। मतलब 14,250 टन प्याज तो बर्बाद ही हो गया। यह तो सिर्फ केंद्रीय बफर स्टॉक का हाल है, राज्यों में हुई बर्बादी अलग है। अगर हम इस तरह की बर्बादी को रोक लें, तो प्याज ही नहीं, सभी कृषि उत्पादों की कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव से बच सकते हैं। उचित भंडारण व्यवस्था किसानों, उपभोक्ताओं व अर्थव्यवस्था, सबके लिए फायदेमंद है। 
बृजेश माथुर
 बृज विहार, गाजियाबाद 

बड़प्पन दिखाएं दोनों पक्ष
पुलिस और वकील समुदाय के वरिष्ठ लोग तुरंत आपस में मिलें और शांति स्थापित करने व गलतफहमी दूर करने के उपाय करें। जल्द से जल्द एक संयुक्त बयान जारी किया जाए कि दोनों पक्ष किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहता और वे मुद्दे को यहीं दफ्न करते हैं। वकील समुदाय एक बयान जारी करें कि वे भविष्य में पुलिस को पूरा सम्मान देंगे और उनके अधिकारों के लिए लड़ेंगे। पुलिस का केस वे फ्री में लड़ेंगे। उधर पुलिस को भी अपनी तरफ से भविष्य में वकील समुदाय को पूरा सम्मान देने की घोषणा करनी चाहिए। 
चंद्र प्रकाश शर्मा, रानी बाग, दिल्ली 

आंसू निकालता प्याज  
प्याज एक बार फिर सुर्खियों में है। इसकी कीमतों में वृद्धि के बाद अब कई अन्य खाद्य पदार्थों के दाम में भी वृद्धि हो रही है। महंगे प्याज के मुद्दे ने एक बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूूमिका निभाई थी। तब सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच तीखे वार हुए थे। सवाल यह है कि जो किसान प्याज की खेती करते हैं, क्या उन्हें इस महंगाई का कोई लाभ भी मिलता है? नहीं। उन्हें तो आज भी इसका उचित दाम नहीं मिलता। आखिरकार प्याज के बाजार में महंगाई का रहस्य क्या है? सरकार इसके लिए कोई स्थाई तंत्र क्यों नहीं विकसित कर पा रही कि प्याज किसानों का भी भला हो और मुनाफाखोरों पर लगाम लगे? दुनिया भर में सबसे ज्यादा प्याज उगाने वाले देशों में होते हुए भी यदि भारत के लोगों को इसके लिए तरसना पड़े और अपनी जेब कटानी पड़े, तो यह बेहद शर्म की बात है। आखिर सबसे ज्यादा उत्पादन के बाद भी यह  स्थिति क्यों है?
विजय कुमार धनिया, नई दिल्ली

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