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पॉलिथीन पर रोक

उत्तर प्रदेश में पॉलिथीन पर रोक लगा दी गई है। यह बहुत अच्छी बात है। अब देखना यह है कि कब तक यह आदेश व्यावहारिक रूप से अमल में आता है? ऐसा इसलिए, क्योंकि पहले भी एक बार यहां पॉलिथीन पर रोक लगाई गई थी,...

पॉलिथीन पर रोक
हिन्दुस्तान Tue, 17 Jul 2018 12:21 AM
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उत्तर प्रदेश में पॉलिथीन पर रोक लगा दी गई है। यह बहुत अच्छी बात है। अब देखना यह है कि कब तक यह आदेश व्यावहारिक रूप से अमल में आता है? ऐसा इसलिए, क्योंकि पहले भी एक बार यहां पॉलिथीन पर रोक लगाई गई थी, मगर थोड़े दिनों के बाद हालात फिर से पुराने जैसे हो गए। सबसे अधिक परेशानी घर के कूड़े को लेकर है, क्योंकि कूड़ा थैले में तो नहीं फेंका जा सकता। इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कूड़ेदान रखवा दे, ताकि लोग वहां जाकर घर का कूड़ा फेंक सकें या फिर ऐसी व्यवस्था बने कि सफाई कर्मचारी प्रत्येक घर से कूड़ा एकत्र करें। तभी लोगों को पॉलिथीन की आवश्यकता महसूस नहीं होगी और वे उससे पूरी तरह दूर हो सकेंगे।
पूनम गुप्ता, रामपुर

कहां है स्थानीय सरकार
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के बाद हल्की सी बारिश ने दिल्ली की हालत भी खराब कर दी है। घंटों का जाम, सड़कों पर सैलाब सरीखा नजारा और चारों तरफ अफरा-तफरी। हर साल मानसून में इन दोनों महानगरों की कहानी कमोबेश यही होती है। लोग-बाग और मीडिया तत्कालीन सरकार को कोसने में जुटे रहते हैं, जबकि इसकी असली वजह पर कोई बात नहीं करता। हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि यहां सत्ता का विकेंद्रीकरण सिर्फ कागजों पर हुआ है। अगर सही मायने में इन दोनों महानगरों के निगमों को ताकत मिली होती, उनके मेयरों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता, तो फिर हर साल के इस स्यापे से मुक्ति भी मिल जाती। याद कीजिए, जब 9/11 हुआ था, तब न्यूयॉर्क के मेयर की भूमिका को पूरी दुनिया ने क्यों सराहा था? मेयर रूडी गुलियानी ने वह पूरी रात सड़क पर बिताई थी, ताकि राहत व बचाव के काम की गति की निगरानी कर सकें। दरअसल, हम पश्चिम की अच्छी चीजों की सिर्फ सराहना करते हैं, उसे अपनी कार्य-संस्कृति का हिस्सा नहीं बनाते। अब दिल्ली सरकार बनाम केंद्र सरकार के झगड़े को ही देख लीजिए। जब शासन के अधिकारों को लेकर ही इतनी अस्पष्टता है, तो फिर प्रशासकों में कर्तव्य बोध कहां से होगा? बेहतर होगा कि सत्ता व अधिकारों का स्पष्ट बंटवारा हो और स्थानीय शासन को मजबूत किया जाए।
विद्या रावत, लक्ष्मी नगर, दिल्ली-23

परीक्षा पर सवाल
एनईईटी प्रवेश परीक्षा के बारे में नया खुलासा आ रहा है कि निजी मेडिकल कॉलेजों ने करीब 400 ऐसे छात्रों को अपने यहां दाखिला दिया है, जिन्हें फीजिक्स या केमिस्ट्री में शून्य या दस से भी कम अंक आए थे। अगर यह खबर सही है, तो यह मेडिकल शिक्षा के लिए चिंता की बात है। शिक्षा मंत्री को तुरंत इसका संज्ञान लेना चाहिए और देश को यह बताना चाहिए कि आखिर परीक्षा प्रणाली में किस खामी की वजह से ऐसा हुआ? बोर्ड की परीक्षा में पास माक्र्स से कम अंक लाने वालों को पूरक परीक्षा देनी पड़ती है, यहां तो एमबीबीएस जैसे पाठ्यक्रम का मामला है। यह निहायत गैर-जिम्मेदारी वाली बात है। इसके लिए संबंधित निजी कॉलेजों से भी जवाब-तलब किया जाना चाहिए।
राकेश सिंह  न्यू पुनाईचक, पटना-23

ताजमहल का संरक्षण
विश्व के आश्चर्यों में शामिल भारत के ताजमहल की रंगत अब बिगड़ने लगी है। इसकी दीवारों पर अब हल्के पीले-हरे धब्बे नजर आने लगे हैं। यह हर भारतीय के लिए एक दुखद समाचार है। मगर सच यह भी है कि हमारे निजी स्वार्थ और लापरवाही की वजह से ही इसकी सुंदरता कम हो रही है। आसपास के उद्योगों से निकलने वाले विषैले धुएं इसकी सुंदरता बिगाड़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उचित ही प्रदेश सरकार को इसके संरक्षण के लिए कड़ी हिदायत दी है। इस वैश्विक धरोहर को बचाने के लिए सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
अंकित कुमार, यादवपुर, गोपालगंज
 

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