फोटो गैलरी

सच सामने आए

सच सामने आए सीबीआई के दो आला अधिकारियों का एक-दूसरे पर आरोप लगाना अफसोसनाक घटना है। गलत कौन है, फिलहाल यह कहना मुश्किल है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि बिना आग के धुआं नहीं उठता। अब तो जनता भी जानना...

सच सामने आए
हिन्दुस्तानWed, 24 Oct 2018 12:16 AM
ऐप पर पढ़ें

सच सामने आए
सीबीआई के दो आला अधिकारियों का एक-दूसरे पर आरोप लगाना अफसोसनाक घटना है। गलत कौन है, फिलहाल यह कहना मुश्किल है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि बिना आग के धुआं नहीं उठता। अब तो जनता भी जानना चाहती है कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना, में से कौन गुनहगार हैं या फिर दोनों दोषी हैं? इसके लिए जरूरी है कि केंद्र की मोदी सरकार सच्चाई को जल्द सामने लाए। उसे सबसे पहले दोनों अधिकारियों को पद से हटा देना चाहिए और फिर विशेष अदालत का गठन करके मामले की जांच शुरू करनी चाहिए। प्रधानमंत्री यदि जल्द ही उच्च पदों पर बैठे इन दोनों बड़े अफसरों की घूसखोरी के कथित मामले की सच्चाई जनता के सामने उजागर कर देते हैं, तो यह इस सरकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। -विजय आनंद

बढ़ते करोड़पति करदाता
देश में चल रही सियासत की तमाम खबरों के बीच एक अच्छी खबर भी सुनने को मिली है। खबर है कि तीन साल में करोड़पति करदाताओं की संख्या 81,000 से भी अधिक हो गई है। सीबीडीटी यानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में करोड़पति करदाताओं की संख्या में 68 फीसदी की वृद्धि हुई है। करदाताओं की संख्या में यह बढ़ोतरी बताती है कि जो करोड़पति पहले टैक्स चुकाने से बचा करते थे, वे अब अपनी जिम्मेदारी समझने लगे हैं। यह जिम्मेदारी जाहिर तौर पर देश और समाज के प्रति है। अब जरूरत यही है कि समाज के दूसरे तमाम तबके भी अपनी इस जिम्मेदारी को समझें और ईमानदारी से अपना टैक्स जमा करें। - वर्षा यादव, गाजियाबाद

साख का संकट
आखिरकार परदा उठ गया। पिंजरे का तोता बेनकाब हो गया। अब पता चल रहा है कि क्यों राकेश अस्थाना को सीबीआई का विशेष निदेशक बनाए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी? जिस तरह से घूसखोरी का इल्जाम दोनों वरिष्ठ अधिकारियों पर लग रहा है, उससे पहली बार इस संस्था के भ्रष्टाचार के दलदल में डूबे होने का पता चलता है। अब तक देश में कहीं भी कोई बड़ी घटना या बड़ा घोटाला हुआ, तो सीबीआई जांच की मांग की जाती रही, क्योंकि उसकी जांच निष्पक्ष मानी जाती थी। स्थानीय पुलिस की जांच पर हमें भरोसा नहीं होता है। मगर ताजा विवाद के बाद सीबीआई की छवि एकदम रसातल में चली गई है। अब पता चला है कि क्यों इस संस्था द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों में दोषसिद्धि की दर इतनी कम है? सरकार अगर चाहती है कि सीबीआई की साख थोड़ी-बहुत ही सही, लेकिन बनी रहे, तो आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना, दोनों वरिष्ठतम अफसरों को तत्काल पद से हटा देना चाहिए और मामले की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए। -जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर

नेताजी पर सियासत
21 अक्तूबर को आजाद हिंद फौज के नायक द्वारा मनाई गई स्वाधीनता दिवस की जयंती मनाकर पूरे देश ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस का स्मरण किया। इतना तय है कि एक ही परिवार का महिमामंडन करने के लिए देश के कई अन्य महानायकों की अब तक उपेक्षा की गई है। लेकिन विचारणीय प्रश्न यह भी है कि वर्तमान सरकार को चुनावी वर्ष में ही महानायक क्यों याद आ रहे हैं? सत्तारूढ़ पार्टी ने नेताजी के नाम से अब तक भला कितनी योजनाओं का श्रीगणेश किया है? तनिक सी उपलब्धियों पर भारत रत्न देने वाली सरकार ने सुभाष चंद्र बोस को अब तक इस सम्मान से वंचित क्यों रखा? इससे यही लगता है कि लौह पुरुष सरदार पटेल और सुभाष चंद्र बोस जैसे महानायक राजनीतिक स्वार्थ के लिए ही स्मरण करने किए जाने को विवश हैं। -सुधाकर आशावादी, ब्रह्मपुरी, मेरठ

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें