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भाषाई कट्टरता

भाषाई कट्टरता  ‘इमरान खान की शपथ और पाकिस्तान की भाषा समस्या’ नामक आलेख में विवेक शुक्ला ने पाकिस्तान की भाषा समस्या से हम सभी को रूबरू कराने का प्रयास किया है। पाकिस्तान के...

भाषाई कट्टरता
हिन्दुस्तानTue, 21 Aug 2018 09:37 PM
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भाषाई कट्टरता 
‘इमरान खान की शपथ और पाकिस्तान की भाषा समस्या’ नामक आलेख में विवेक शुक्ला ने पाकिस्तान की भाषा समस्या से हम सभी को रूबरू कराने का प्रयास किया है। पाकिस्तान के नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री उर्दू में ठीक से शपथ नहीं पढ़ पाए और उनकी जुबान लड़खड़ाती रही। दरअसल, दिक्कत यह है कि धर्म के आधार पर गठित पाकिस्तान ने उर्दू को अपनी राष्ट्रभाषा तो घोषित किया, पर अन्य भाषाओं जैसे हिंदी, पंजाबी, बांग्ला, सिंधी आदि का क्रूरता से दमन किया। पाकिस्तान में भाषाई कट्टरता तेजी से पनपी है और इसी का नतीजा है कि नए प्रधानमंत्री उर्दू ठीक से नहीं बोल पाते। अगर अब भी पाकिस्तान भाषाओं को लेकर उदार नहीं बना, तो वैश्वीकरण के इस दौर में वह बहुत पीछे छूट जाएगा। -कुंदन कुमार, बीएचयू

मिसाल है शिक्षा मॉडल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का शिक्षा सुधार का जब्बा काबिल-ए-तारीफ है। वाकई, जिस प्रकार दिल्ली में सरकारी स्कूलों की दशा-दिशा बदली है, वह निश्चित रूप से कई लोगों के गहन होमवर्क का नतीजा है। आज यहां के सरकारी स्कूल निजी स्कूलों से मुकाबला करने लगे हैं। नतीजतन लोग अब जोश-खरोश के साथ अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेज रहे हैं। यही नहीं, निजी स्कूलों द्वारा फीस वसूलने का मनमाना तरीका भी दिल्ली सरकार ने बदल दिया है। अगर सुधार की यही रफ्तार रही, तो विकसित होते भारत का सपना जल्दी पूरा हो पाएगा। -विजय पपनै, फरीदाबाद

कुदरत का संदेश समझें
कुदरत को समझना इंसानी बुद्धि के वश की बात नहीं, फिर भी इशारों से बहुत कुछ समझा जा सकता है। पांच साल पहले केदारनाथ में कुदरत ने कहर ढाया था और चार साल पहले कश्मीर में और अब केरल में। बताया जा रहा है कि पिछले सौ वर्षों का रिकॉर्ड टूटा है। मुल्क के हालात किसी से छिपे नहीं हैं और छिपाने की कितनी भी कोशिश कर ली जाए, सच्चाई बाहर आ ही जाती है। वक्त तेजी से बदल रहा है, लेकिन क्या वाकई में झूठ सच्चाई का गला घोटने में कामयाब हो पाएगा, इस सवाल का जवाब प्रकृति समय आने पर देगी? तलवार के दम पर दुनिया को फतह कोई नहीं कर सकता। इसलिए हमें कुदरत के संदेश को समझना चाहिए और उससे टकराने से   बचना चाहिए। -शाजिया खान, खैर नगर, मेरठ

चीन की राखी क्यों 
भारतीय संस्कृति हमेशा अपने समाज द्वारा किए गए कार्यों को ही ज्यादा महत्व देती है। मगर हर भारतीय त्योहार के समय बाजार चीन के सामान से पटा रहता है। भाई-बहन के पवित्र त्योहार राखी के उत्सव पर भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है। चीन की राखी रेशम के धागों से तैयार नहीं की जाती, बल्कि इसमें प्लास्टिक, रबड़ या अन्य सामग्रियां मिली होती हैं। इसलिए अच्छा होगा कि हम भारत में तैयार स्वदेशी राखी का ही इस्तेमाल करें। वैसे भी, रेशम के धागे से बनी राखी ही भाई-बहन के प्यार भरे रिश्ते को मजबूती देती है। इससे भारतीय सभ्यता और संस्कृति की पहचान भी बरकरार रहती है। -नितेश कुमार सिन्हा, मोतिहारी

नीतियों में खोट 
झारखंड के हजारों पैरा-शिक्षक भुखमरी के कगार पर आ चुके हैं। राज्य सरकार विगत पांच माह से इन शिक्षकों को मानदेय नहीं दे रही है, जिसके कारण इनके घरों में चूल्हे जलने बंद होने लगे हैं। आखिर राज्य सरकार की यह कौन सी नीति है? हम अपनी समस्या सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं। शायद वह हमारी परेशानियों को समझे और पैरा-शिक्षकों को जल्द से जल्द मानदेय दिलवाने की व्यवस्था करे। -पप्पू सिंह

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