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चीन की हिमाकत

चीन की हिमाकत  ड्रैगन का भारतीय सीमा के भीतर घुसकर गर्जन-तर्जन करना और अरुणाचल प्रदेश को लेकर विवादास्पद व गैर-जिम्मेदाराना बयान देना उसकी कुटिलता को साफ जाहिर करता है। भारत के अभिन्न अंग के...

चीन की हिमाकत
हिन्दुस्तानSun, 07 Jan 2018 08:16 PM
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चीन की हिमाकत 
ड्रैगन का भारतीय सीमा के भीतर घुसकर गर्जन-तर्जन करना और अरुणाचल प्रदेश को लेकर विवादास्पद व गैर-जिम्मेदाराना बयान देना उसकी कुटिलता को साफ जाहिर करता है। भारत के अभिन्न अंग के रूप में अरुणाचल प्रदेश का वजूद चीन स्वीकार नहीं करता, बल्कि इसे वह दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है। भारत के किसी नामचीन नेता के इस राज्य में दौरा करने से वह बौखला जाता है। सवाल है कि डोका ला विवाद के सुलझने के चंद महीनों के भीतर आखिर ड्रैगन फिर से क्यों सीमा-विवाद पैदा करना चाहता है? दरअसल, उसे भारत-अमेरिका के बीच बेहतर हो रहे संबंध रास नहीं आ रहे। अमेरिका के आतंकपरस्त देश पर नजर टेढ़ी करने से भी वह खासा विचलित है। लिहाजा वह पाकिस्तान के साथ गलबहियां करके सीमा पर तनाव बढ़ाने पर आमादा है। चीन के मनसूबों को हमें समझना होगा और उसे उसकी सीमा में रोकना होगा। -नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर, हरियाणा

रचनात्मक संवाद जरूरी
राज्यसभा में एक साथ तीन तलाक विषय पर हंगामा कोई छिपी बात नहीं है। सरकार व विपक्ष के बीच टकराव की वजह से यह मसला अपने निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहा है। इससे सदन का (देश का) बहुमूल्य समय और पैसा भी बर्बाद हो रहा है। सदन का कामकाज बाधित रहने से आम आदमी की जरूरतों के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी नहीं उठाए जा रहे। ऐसे में, जरूरी यही है कि सदन की गरिमा बनाई रखी जाए। तमाम दल आपस में समन्वय बनाएं और सही फैसला लें। जनता में यह संदेश जाना चाहिए कि सदन उनके प्रति संवेदनशील है और उनके हित में फैसला लेने को हमेशा तैयार भी। -योगेश कुमार गुप्ता, नई दिल्ली

युवाओं की उम्मीदें 
एक और साल बीत गया, लेकिन आंखों में उम्मीदें अब भी बनी हुई हैं। बात हो रही है उत्तराखंड के उन युवा बेरोजगारों की, जिनके सपनों को साल 2017 में भी पंख नहीं मिल पाए। ये बड़े आश्चर्य की बात है कि अब तक जितनी भी सरकारें राज्य में बनी हैं, उनमें से किसी ने भी यहां के युवा-वर्ग के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा। इसका परिणाम यह हुआ है कि राज्य में कई सारे विभागों में पद खाली होने के बावजूद उन पदों के लिए पहले विज्ञप्ति ही नहीं निकली और यदि निकाली भी गई, तो परीक्षा देर से आयोजित कराई गई। कई पदों के लिए तो काफी समय बाद परिणाम घोषित किया गया। यह सिलसिला थमा नहीं है। परीक्षाओं, परिणामों में धांधली की बात यहां आम है। राज्य में सरकारी नियुक्तियों के लिए गठित आयोग मूकदर्शक की भांति काम करते रहते हैं। इसका खामियाजा यहां की भोली-भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में, नए साल की शुरुआत में यहां की सरकार को एक नए सिरे से सोचने की सख्त आवश्यकता है, क्योंकि देश का भविष्य युवाओं के कंधों पर टिका है। युवाओं की उम्मीदों को पूरा करना बेहद जरूरी है। -किरण नेगी, गुमानीवाला, ऋषिकेश

सी-प्लेन और संभावनाएं
गुजरात चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सी-प्लेन में यात्रा कर सबका ध्यान खींचा था। अब इस ओर सड़क परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने भी बढ़ने की इच्छा जाहिर की है। उनकी योजना इसे नदियों व समुद्रों में संचालित करने की है। सी-प्लेन के चलने से पर्यटन तो बढ़ेगा ही, इससे आय भी बढेगी, साथ-साथ बेरोजगारों को भी रोजगार मिलेगा। विदेशों में पहले से ही सी-प्लेन चलाए जा रहे हैं, जो पर्यटकों को खासा लुभाते हैं। जाहिर है, इसमें अपार संभावनाएं हैं। मगर अपने यहां इसे शुरू करने से पहले जल-प्रदूषण की समस्या का हल निकालना जरूरी है। स्वच्छ नदियों पर सी-प्लेन और समुद्र में तैरता शहर यानी क्रूज समुद्रीय यात्राओं को रोमांचक बनाएगा। विकास के ये अहम पड़ाव साबित होंगे। - कालू चरण, श्रीनगर, गढ़वाल

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