निशाने पर महिलाएं
निशाने पर महिलाएं पिछले दिनों विश्व स्तर पर एक अभियान ‘मी टू’ काफी चर्चित हुआ था, जो शारीरिक शोषण का शिकार बनने वालों ने चलाया था। अब इसे भारत ने भी अपना लिया है। आज महिलाओं के खिलाफ...
निशाने पर महिलाएं
पिछले दिनों विश्व स्तर पर एक अभियान ‘मी टू’ काफी चर्चित हुआ था, जो शारीरिक शोषण का शिकार बनने वालों ने चलाया था। अब इसे भारत ने भी अपना लिया है। आज महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा कोई छिपी हुई बात नहीं रही। जैसे-जैसे औरतें अलग-अलग क्षेत्रों में कामयाबी हासिल कर रही हैं, वैसे-वैसे उनके प्रति हिंसा और शोषण की घटनाएं बढ़ी हैं। बावजूद इसके महिलाएं इसलिए चुप रह जाती हैं, क्योंकि हमारा समाज पुरुष प्रधान है और पुरुषों को कहीं न कहीं अधिक शक्ति मिली हुई है। ऐसे में, तनुश्री दत्ता का खुलकर आवाज उठाना उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो लोक-लाज के डर से चुप रह जाती हैं। महिलाओं को खुलकर अपने खिलाफ होने वाली हिंसा का प्रतिरोध करना चाहिए। -नीतू कुमारी, श्याम लाल कॉलेज
ऊंट के मुंह में जीरा
सरकार ने एक बार फिर किसानों को राहत पहुंचाने के लिए रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित किया है। गेहूं के एमएसपी में सिर्फ 105 रुपये की वृद्धि की गई है। इन फसलों के एमएसपी बढ़ाने के कई कारण हैं। जैसे, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत में बढ़ोतरी, किसानों की आय दोगुना करने का सरकार का लक्ष्य, 2019 का लोकसभा चुनाव वगैरह- वगैरह। मगर सवाल यह उठता है कि क्या यह बढ़ोतरी चुनावी हथकंडा के अलावा जमीनी हकीकत बन पाएगी? मेरा मानना है कि सरकार का किसानों की आय दोगुना करने का जो एलान है, उस लक्ष्य की दिशा में यह छोटा-सा कदम है। अभी रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत बढ़ती जा रही है। इसका असर सरकार के साथ-साथ छोटे किसानों पर भी पड़ रहा है। ऐसे में, एमएसपी का बढ़ना डूबते को तिनके का सहारा देना है। मौजूदा आर्थिक स्थिति में किसानों की लागत बढ़नी तय है, पर उस अनुपात में एमएसपी नहीं बढ़ाए गए हैं। अब देखना यही है कि सरकार द्वारा अन्नदाताओं को और कितनी राहत दी जाती है? -अभयजीत कुमार सिंह, दिल्ली
सभी को मिले इलाज
आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली की सत्ता में आने के बाद गरीबों के इलाज के लिए मोहल्ला क्लीनिक खुलवाकर ‘सर्वे भवंतु निरामया:’ का श्रीगणेश किया था। मगर आज वह इलाज में आरक्षण को लेकर सवालों में आ गई है। दिल्ली के अस्पतालों से दूसरे राज्यों के मरीजों को बिना इलाज के लौटाया जा रहा है, क्योंकि उन्हें दिल्ली के मरीजों को तवज्जो देने को कहा गया है। यह भेदभाव वाला कदम कष्टप्रद है, क्योंकि दिल्ली में देश के हर कोने से नौकरी और व्यवसाय के लिए लोग आते हैं, जिनमें से अधिकांश के पास दिल्ली का पहचान पत्र नहीं होता। दिल्ली सरकार को लोगों की इन मुश्किलों की तरफ ध्यान देते हुए अस्पतालों को उचित निर्देश देना चाहिए। -निशांत कुंडलीवाल, नई दिल्ली
रिश्तों की मजबूती
भारत और रूस के बीच रिश्ते हमेशा से व्यावहारिक रहे हैं। रूस ने हर मुश्किल घड़ी में भारत का साथ दिया है। लेकिन बदलते समय और बदली प्राथमिकताओं के चलते इस रिश्ते पर कुछ धूल जमा हो गई। इसकी बड़ी वजह थी, भारत और अमेरिका में बढ़ती नजदीकियां। पाकिस्तानी सेना का रूसी सेना से बढ़ता समन्वय और चीन व रूस के बीच बढ़ते रक्षा और तकनीकी कारोबार जैसी तस्वीरें भी दोनों देशों के बीच बढ़ती दूरियों का संकेत दे रही थीं। लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से इस धूल के साफ होने की उम्मीद बंधी है। रक्षा के साथ हुए तमाम समझौते इसी की तस्दीक कर रहे हैं। इससे यह भी साबित हो रहा है कि भारत अपने पुराने मित्रों को कभी नहीं भूलता। -कृष्णा बाजपेई