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सबको मिली जगह

करीब पांच दशकों के बाद देश की किसी महिला वित्त मंत्री ने बजट पेश किया है। यह बजट देश के प्रत्येक वर्ग के समृद्ध विकास के प्रति एक सकारात्मक उम्मीद है। नए भारत के निर्माण की दिशा में प्रस्तुत बजट...

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हिन्दुस्तानFri, 05 Jul 2019 10:09 PM
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करीब पांच दशकों के बाद देश की किसी महिला वित्त मंत्री ने बजट पेश किया है। यह बजट देश के प्रत्येक वर्ग के समृद्ध विकास के प्रति एक सकारात्मक उम्मीद है। नए भारत के निर्माण की दिशा में प्रस्तुत बजट बेहतरीन है। बजट में किसानों के साथ-साथ युवाओं का भी ध्यान रखा गया है। इसमें कहा गया है कि आजादी की 75वीं सालगिरह तक किसानों की आय दोगुनी होगी। इसमें उच्च शिक्षा के लिए करोड़ों रुपये का आवंटन किया गया है। शोध जगत में राष्ट्रीय शोध संस्थान का निर्माण शीघ्र किया जाएगा। खेल-कूद के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय बोर्ड का गठन किया जाएगा। खेलो भारत योजना का विस्तार किया जाएगा। महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाएगा। हालांकि बजट तो संसद में प्रतिवर्ष पेश किया जाता है, परंतु अधिकतर प्रस्ताव कागजों में ही रह जाते हैं। बजट पेश करना जितना सरल होता है, उससे कई गुना ज्यादा कठिन उस पर काम करना होता है। हमें उम्मीद है कि इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा और देशवासियों के सपने को इस बजट से नए पंख मिलेंगे। (कशिश वर्मा, नोएडा)

निराश करता बजट
मोदी-2 सरकार के पहले बजट में मध्यम वर्ग, सरकारी कर्मचारियों, किसानों और बेरोजगारों को निराशा हाथ लगी है। पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त शुल्क लगाने से वित्त मंत्री ने आमजन की थाली में महंगाई परोस दी है। इससे सभी वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। रोजगार सृजन और शिक्षा नीति पर भी सरकार बजट में असंवेदनशील रही। टैक्स स्लैब में छूट पर वेतनभोगियों के हाथ खाली रहे। साफ है, देश की अर्थव्यवस्था को विकास की रफ्तार देने के लिए देशवासियों के सीने पर गैर-लाभकारी नीतियों का भार डाल दिया है, जो असंतोष और असमानता को ही बढ़ावा देगा। (मदनलाल लंबोरिया, भिरानी)

पाकिस्तान का झूठ
30 जून को विश्व कप के इतिहास में वह पहला मौका था, जब भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों के क्रिकेटप्रेमी भारतीय टीम की जीत की कामना कर रहे थे। मौका था, भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाले मुकाबले का। इस मैच में यदि भारत इंग्लैंड को हरा देता, तो इंग्लैंड विश्व कप से लगभग बाहर हो जाता और पाकिस्तान के लिए सेमीफाइनल के दरवाजे खुल जाते। लेकिन मैच में भारत की हार हुई, जिसके बाद सवाल उठने शुरू हो गए कि क्या पाकिस्तान को विश्व कप से बाहर करने के लिए भारत जान-बूझकर इंग्लैंड से हार गया? लेकिन इस आरोप में कोई दम नहीं दिखता। इंग्लैंड की टीम ने मुश्किल स्कोर खड़ा किया था, जिसका डटकर मुकाबला भारतीय टीम ने किया। अंतिम ओवरों में धीमी बल्लेबाजी करने का आरोप बेशक टीम इंडिया पर है, लेकिन विश्व कप के इतिहास को देखें, तो भारत और इंग्लैंड के बीच हुए आठ मुकाबलों में सिर्फ तीन में टीम इंडिया को जीत मिली है, जबकि पाकिस्तान के खिलाफ अपने सभी मुकाबले भारतीय खिलाड़ियों ने जीते हैं। इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि भारतीय टीम के लिए पाकिस्तान से कहीं ज्यादा मुश्किल चुनौती इंग्लैंड की टीम से थी। ऐसे में, यह आरोप लगा देना कि पाकिस्तान को बाहर करने के लिए भारत जान-बूझकर हार गया, मुनासिब नहीं है। (बृजेश अग्रवाल, रोहिणी, दिल्ली)

एक नेक पहल
लोकसभा में सांसदों द्वारा अपने भाषण के पश्चात नारेबाजी करने की नई परंपरा स्थापित किए जाने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा जाहिर की गई आपत्ति बिल्कुल जायज और सराहनीय है। निस्संदेह सांसदों को सिर्फ अपनी बात सदन में रखनी चाहिए। संसदीय परंपरा का निर्वाह करना हर सांसद की जिम्मेदारी है। आवश्यक है कि इसके लिए पार्टी अध्यक्ष भी अपने-अपने नेताओं को सख्त निर्देश दें। (मंजर आलम, मधेपुरा)

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