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ट्रंप का स्वागत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्योते पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंच चुके हैं। इस यात्रा को लेकर विपक्ष बहुत बेचैन है और इसकी खूब नकारात्मक चर्चा कर रहा है। इस...

ट्रंप का स्वागत
हिन्दुस्तानMon, 24 Feb 2020 11:18 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्योते पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंच चुके हैं। इस यात्रा को लेकर विपक्ष बहुत बेचैन है और इसकी खूब नकारात्मक चर्चा कर रहा है। इस पर हो रहे खर्च को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं? सवाल यह है कि क्या विपक्ष को इन सब गैर-जरूरी मुद्दों पर चर्चा करने की जरूरत है? दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के शासनाध्यक्ष यदि मिलते हैं, तो उससे सकारात्मक नतीजे ही निकलकर सामने आएंगे। फिर, प्रोटोकॉल, सुरक्षा, रंग-रोगन, साफ-सफाई आदि से जुड़े खर्च सरकार ही उठाती है, जिस पर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं। पूर्व की सरकारों में भी इस तरह के खर्च किए गए हैं। इसीलिए हर मसले पर राजनीति करने की बजाय विपक्ष को सकारात्मक भी सोचना चाहिए। ‘अतिथि देवो भव:’ की हमारी प्राचीन परंपरा रही है, इसलिए विपक्ष की बातों का कोई मतलब नहीं।
प्रदीप कुमार दुबे, देवास, मध्य प्रदेश

सभी को मिले रोजगार
आज देश की जनसंख्या सवा अरब से ज्यादा है, जिसमें लगातार वृद्धि भी हो रही है। इस कारण हर हाथ को काम नहीं मिल पा रहा। फिलहाल ज्यादातर नौजवान निजी क्षेत्र में काम करते हैं, जहां नौकरी को लेकर अनिश्चितता सबसे ज्यादा है। उनकी मुश्किलें जीएसटी जैसी नीतियों के कारण भी बढ़ी हैं, क्योंकि इस नीति से देश में रोजगार का संकट गहरा गया है। जीएसटी के आने के बाद से कंपनियों की हालत खराब होने लगी है। बड़ी-बड़ी कंपनियां तक काम देने में आनाकानी करने लगी हैं। ऐसे में, सरकार को रोजगार संकट दूर करने को लेकर खास प्रयास करने चाहिए। ऐसा माहौल बनना ही चाहिए कि कुशाग्र बुद्धि को रोजगार की तलाश में देश से बाहर न जाना पड़े।
मो. जमील, अंधराठाढ़ी, मधुबनी

विवादित बयान
जिस तरह वारिस पठान ने 15 करोड़ बनाम 100 करोड़ का विवादित बयान दिया है, वह शर्मनाक है। ऐसे बयानों से ही समाज का माहौल खराब होता है। यह देश का दुर्भाग्य है कि कोई नेता मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने जैसे विवादित बयान देता है, तो कोई मुसलमानों को हिंदुओं के खिलाफ खड़ा होने को उकसाता है। इस तरह के बयानों की हर तरफ से निंदा होनी चाहिए। लगता है, ऐसे बयानवीरों को गांव-गांव में कायम हिंदू-मुस्लिम एकता चुभ रही है। इस महान देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने के लिए ऐसे बिगड़े बोल पर नकेल कसनी ही चाहिए। किसी तरह के विवादित बयान की, जिससे देश की शांति व स्थिरता को खतरा है, जमकर निंदा होनी चाहिए। इस देश की समझदार जनता को भी चाहिए कि वह ऐसे नेताओं के विवादित बयानों से बचे, क्योंकि इनमें वे अपना हित देखते हैं। उनके जाल में फंसने से अंतत: लोगों का ही नुकसान होता है। पुलिस को भी ऐसे नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए, फिर चाहे वह नेता वारिस पठान हो या कोई और।
दिनेश चौधरी, सुरजापुर, सुपौल

दोस्त के लिए दीवार
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे से पहले यहां दीवार को लेकर खासा चर्चा रही। अहमदाबाद की झुग्गियों पर अमेरिकी राष्ट्रपति की नजर न पड़ जाए, इसके लिए दीवार बनाई गई और कई परिवारों को झुग्गी खाली करने का नोटिस भी दिया गया। मोदी और ट्रंप की इस खास दोस्ती का भला क्या फायदा, जब इतना अच्छा दोस्त मिलने के बाद भी हमें अपनी झुग्गियां छिपानी पड़ें? दिखावे की मेहमाननवाजी से भारत अपनी आत्मा को धोखा कैसे दे सकता है? भारत मे गरीबी की क्या स्थिति है, यह अमेरिका भी खूब जानता है, मगर दुख इस बात का है कि गरीबी हटाने की बजाय हमने गरीबी छिपाना बेहतर समझा, जबकि जरूरत अमेरिका से सीख लेकर गरीबी उन्मूलन की कोशिशें तेज करने की होनी चाहिए थी।
धनंजय कुमार, डीयू, दिल्ली

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