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मंदी की आहट

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना सही है कि देश की अर्थव्यवस्था शिथिल हो रही है। सभी क्षेत्रों में मंदी आई हुई है और व्यापार जगत में निराशा का माहौल है। निवेश और औद्योगिक उत्पादन घट रहे...

मंदी की आहट
हिन्दुस्तानTue, 20 Aug 2019 11:37 PM
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रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना सही है कि देश की अर्थव्यवस्था शिथिल हो रही है। सभी क्षेत्रों में मंदी आई हुई है और व्यापार जगत में निराशा का माहौल है। निवेश और औद्योगिक उत्पादन घट रहे हैं। शेयर बाजार सूचकांक चालीस हजार से गिरकर 37 हजार पर आ गया है। रोजगार के अवसर का सृजन तो दूर, छंटनी के नाम पर कार्यरत कर्मचारियों को नोटिस थमाए जा रहे हैं। प्रॉपर्टी, स्टील, टेलीकॉम, ऑटोमोटिव, पावर, बैंकिंग आदि सभी क्षेत्रों में गिरावट देखी जा रही है। ऐसे में, सरकार को तुरंत ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। निर्यात को प्रोत्साहन दिया जाए। करों में राहत दी जाए। आयात कम करके देसी उत्पादन को बढ़ावा मिले। रोजगार के अवसर बढे़। व्यापार में स्थायित्व दिखे व भविष्य के प्रति आशा हो, ताकि जनता का विश्वास बढ़े। (विनोद चतुर्वेदी, लोनी रोड, दिल्ली)

बारिश का कहर
उत्तराखंड में बारिश के कहर से पूरा जन-जीवन बदहाल हो चुका है। पहाड़ों पर बादलों और भूस्खलन से तबाही मच रही है। मरने और घायल होने वाले लोगों के आंकडे़ हर रोज बढ़ते जा रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में बादलों के कहर ने हर साल की तरह इस बार भी शासन-व्यवस्था की मंशा पर प्रश्न-चिह्न लगा दिया है। एक तरफ पहाड़ी क्षेत्रों में लोग मर रहे हैं, तो दूसरी तरफ राज्य सरकार चैन की नींद सो रही है। पिछले वर्ष भी जनता को जब राज्य सरकार की जरूरत थी, तब भी उसका यही रवैया देखने को मिला था। जो लोग मरे और घायल हुए हैं, उन्हें मुआवजा देने की जो पुरानी प्रथा चली आ रही है, न जाने उस पर कब विराम लगेगा और जनता के लिए सही मायनों में काम किया जाएगा। (मीनाक्षी ठाकुर, देहरादून)

बुरे हाल में कांग्रेस
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा करते थे कि कांग्रेस-मुक्त भारत होगा, तो वह बात कई लोगों को अटपटी लगती थी। जबकि वह विशेषकर नेहरू-गांधी परिवार वाली कांग्रेस पार्टी के बारे में यह कहा करते थे। आज तो यह दशा हो गई है कि कांग्रेस स्वयं अपनी कब्र खोदने में लगी है। जैसे, कश्मीर मुद्दे पर दुनिया के सभी देश मोदी सरकार के साथ हैं। यहां तक कि इस्लामी राष्ट्रों ने भी भारत का विरोध नहीं किया है। फिर भी कांग्रेस अपने अड़ियल रवैये के चलते मोदी सरकार का पुरजोर विरोध करने में लगी हुई है। पाकिस्तान में तो कांग्रेसियों के विरोध का स्वागत भी किया जा रहा है। हालांकि कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाने का विरोध एनडीए के एकाध घटक दल भी कर रहे हैं। मगर उनके विरोध का भी कुछ खास मतलब नहीं है। उनको यह पता होना चाहिए कि उन्हें मोदी के नाम पर वोट मिला है, मोदी को उनके नाम पर नहीं। यह राष्ट्रहित में है कि राष्ट्र की समस्या पर देश के सभी दल एकजुट हो जाएं। मगर शायद ही ऐसा होता है। यही इस देश का दुर्भाग्य है कि कुछ जरूरी मुद्दों पर भी सभी अपना-अपना राग अलापते रहते हैं। (एस डी दुबे, सारण, बिहार)

अलविदा खय्याम साहब
जाने-माने संगीतकार खय्याम के निधन का समाचार दिल को दुखा गया। हिंदी संगीत की दुनिया में वह एक दिग्गज संगीतकार तो थे ही, उन्हें चाहने वालों में गैर-भारतीय भी कम नहीं थे। उनके फिल्मी करियर की शुरुआत सन 1947 में फिल्म ‘हीर-रांझा’ से हुई थी, जिसके बाद तो सफलता का दूसरा नाम ही खय्याम बन गए। उन्होंने कई ऐसी फिल्मों में भी संगीत दिया, जो सिर्फ अपने संगीत के दम पर ही सफल हुईं। आज उनके इस दुनिया से जाने से संगीत जगत को जो क्षति हुई है, उसे कभी भरा नहीं जा सकेगा। वह उन चंद संगीतकारों में से थे, जिन्होंने देसी संगीत को महत्व देने का काम किया। और इसलिए भी म्यूजिक इंडस्ट्री में उनकी काफी इज्जत थी।  (रामचंद्र प्रसाद, धनबाद, झारखंड)

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