फिर डटी लाल सेना
फिर डटी लाल सेना चीन ने डोका ला में फिर से अपने सैनिकों को उतार दिया है। पिछले दिनों भी उसने वहां अपना दावा जताकर भारत को डराने की कोशिश की थी, पर तब उसकी एक नहीं चली थी और मजबूरन सेना को पीछे...
फिर डटी लाल सेना
चीन ने डोका ला में फिर से अपने सैनिकों को उतार दिया है। पिछले दिनों भी उसने वहां अपना दावा जताकर भारत को डराने की कोशिश की थी, पर तब उसकी एक नहीं चली थी और मजबूरन सेना को पीछे हटने का निर्देश देना पड़ा था। मगर लगता है कि अब भी वह भारत के खार खाए बैठा है। बार-बार अरुणाचल प्रदेश और डोका ला पर दावा जताकर हमें धमकाने वाले चीन को यह खबर होनी चाहिए कि भारत अब 1962 के दौर से कहीं आगे निकल चुका है। भारत अब किसी भी देश से किसी मामले में कमतर नहीं है। इसीलिए अगर चीन डोका ला में हैलीपैड बनाकर और सड़कों का निर्माण करके भारत पर एन-केन-प्रकारेण दबाव बनाने की कोशिश करना चाहता है, तो उसका यह प्रयास कारगर नहीं होने वाला। इसलिए बेहतर होगा कि भारत की अहमियत चीन समझे और वैश्विक मसलों को निपटाने में नई दिल्ली का साथ दे। आतंकवाद ऐसी ही एक वैश्विक समस्या है, जिसका निदान तभी संभव है, जब सभी देश इसके खिलाफ एकजुट हो जाएं।
कांतिलाल मांडोत, सूरत
अफवाहों का माध्यम
ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया ज्ञानवद्र्धक कम और अफवाहों का प्रसारक अधिक बन गया है। वास्तविकता से कोसों दूर बरसों पुराने वीडियो को वायरल करके सनसनी फैलाने की कोशिश की जाती है। इस कुचक्र को किसी भी स्थिति में सही नहीं ठहराया जा सकता। हमें समझना चाहिए कि चंद घटनाएं होती कुछ हैं और उन्हें दर्शाया किसी और प्रकार से जाता है। अभी हाल ही में एक वीडियो में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन को नौसेना अधिकारियों के साथ हुई अनौपचारिक बैठक में सैन्य अधिकारियों को अपमानित करते दिखाया गया था। वीडियो में रक्षा मंत्री के अनुशासन व कार्यशैली पर सवाल उठाए गए थे, जबकि इसकी वास्तविकता कुछ और निकली। विचारणीय बिंदु यह है कि भिन्न-भिन्न घटनाओं को बिना किसी पड़ताल के सोशल मीडिया पर परोसने को कहां तक उचित ठहराया जा सकता है? गलत ढंग से प्रस्तुत वीडियो के लिए किन्हें जिम्मेदार ठहराया जाए? इसे देखते हुए फर्जी व भड़काऊ वीडियो पोस्ट करने वाले तत्वों को कठोर से कठोर सजा देने की जरूरत है।
सुधाकर आशावादी, ब्रह्मपुरी, मेरठ
यह कैसी प्रतियोगिता
चुंबन प्रतियोगिता हमारे समाज के लिए चिंता का विषय है और हमारे राज्य के लिए शर्मनाक बात भी। एक तरफ, हम राज्य को नशा मुक्त बनाने के लिए सरकार पर दबाव डाल रहे हैं, तो दूसरी तरफ विधायक सार्वजनिक चुंबन प्रतियोगिता आयोजित करके कुरीतियों को बढ़ावा देने में जुटे हैं। यह प्रतियोगिता आयोजित करके समाज के अंदर गलत संदेश पहुंचाया जा रहा है और भारतीय संस्कृति का अपमान किया जा रहा है। इससे युवा पर भी बुरा असर पडे़गा। इस तरह की प्रतियोगिता राज्य में दोबारा न हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार को हर मुमकिन कदम उठाना चाहिए।
निपु सिंह, झारखंड
महिलाओं की सुरक्षा
महिला सुरक्षा आज भी एक बड़ा मुद्दा है। निर्भया मामले के बाद लगा था कि देश में बलात्कार को लेकर कुछ सख्त कानून बनाए जाएंगे और समाज को इससे कुछ सबक मिलेगा। कानून तो कुछ सख्त हो गए, पर बलात्कार जैसे मामलों पर अब तक अंकुश नहीं लग पाया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में प्रतिदिन करीब 50 बलात्कार के मामले थानों में दर्ज किए जाते हैं। इस प्रकार प्रत्येक घंटे दो महिलाएं बलात्कारियों के हाथों अपनी अस्मत गंवा देती हैैं, जबकि देश में बहुत से मामले ऐसे भी होते हैं, जिनकी रिपोर्ट ही नहीं हो पाती। यह स्थिति आखिर कब तक बनी रहेगी? महिलाओं की सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था सरकार क्यों नहीं करती?
शालू, डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज