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महिलाओं की दशा

गुरुवार 8 मार्च को प्रकाशित लेख में मैत्रेयी पुष्पा ने सही कहा कि पुरुष सत्ता ने एक रणनीति के तहत उम्रदराज मां, बहनों का इस्तेमाल किया है। यह सत्ता आज भी महिला सशक्तीकरण में बाधा डाल रही है। वाकई आज...

महिलाओं की दशा
हिन्दुस्तानSat, 10 Mar 2018 12:51 AM
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गुरुवार 8 मार्च को प्रकाशित लेख में मैत्रेयी पुष्पा ने सही कहा कि पुरुष सत्ता ने एक रणनीति के तहत उम्रदराज मां, बहनों का इस्तेमाल किया है। यह सत्ता आज भी महिला सशक्तीकरण में बाधा डाल रही है। वाकई आज भी समाज में महिलाओं की स्थिति काफी खराब है। उत्तर प्रदेश में तो महिला प्रधानों के सम्मेलन में करीब तीन दर्जन महिलाएं इसलिए भाग नहीं ले सकीं, क्योंकि उनके पतियों ने उन्हें इसमें शामिल होने की इजाजत नहीं दी। आखिर हम किस तरह के लोकतंत्र में रह रहे हैं? इस संदर्भ में ‘साइबर संसार’ कॉलम में प्रकाशित विचार में डॉ लोहिया का यह कथन बिल्कुल सत्य जान पड़ता है कि इस समाज ने महिलाओं पर अत्याचार करके बहुत पाप किए हैं। इसलिए अब कुछ प्रायश्चित कर ही लेना चाहिए।

देवेंद्र जोशी

रिश्वत पर लगाम

आम जनता को भ्रष्टाचार के जिस स्वरूप से सबसे अधिक परेशानी होती है, वह है आरटीओ, पुलिस थाना, रेल-बस परिवहन विभाग जैसे सरकारी कार्यालयों में मौजूद भ्रष्टाचार। आम जनता का साबका इन्हीं विभागों के क्लर्कों और अधिकारियों से ज्यादा पड़ता है और यहां काम कराने के लिए उन्हें रिश्वत चढ़ाने पड़ते हैं। बड़े अधिकारियों का तो खैर तबादला होता रहता है, लेकिन इनके मातहतों को झेलना मुश्किल है। बिना उनको खिलाए-पिलाए कोई फाइल आगे नहीं सरकती। इसीलिए यदि उत्तर प्रदेश सरकार को वास्तव में भ्रष्टाचार पर काबू पाना है, तो उन्हें इन मातहतों की महत्वाकांक्षा खत्म करनी होगी। इसके लिए सभी सरकारी कार्यालयों में हर कमरे में सीसीटीवी तो लगना ही चाहिए, इन कर्मचारियों का विभाग भी नियमित अंतराल पर बदलना चाहिए। इसके साथ-साथ भ्रष्ट आचरण का मामला सामने आने पर त्वरित कार्रवाई भी सुनिश्चित होनी चाहिए।

सुशांत सिंहल

सबके हैं महापुरुष 

देश में इन दिनों महापुरुषों की मूर्तियां तोड़ने की राजनीति चल रही है। यह बेहद निंदनीय कृत्य है। महापुरुष सभी जातियों व धर्मों के लिए समान होते हैं। उनकी शिक्षाएं सभी जाति व धर्म के लिए अनुकरणीय होती हैं। मगर आज कुछ गंदी व संकीर्ण सोच के लोग उनकी मूर्तियों को तोड़कर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। मूर्ति भंजन को रोकने के लिए जनता के साथ-साथ हमारे नेताओं को भी अपनी सोच बदलने की जरूरत है। अपने दल के नेता को महान दिखाने के लिए दूसरे दलों के पूर्व नेताओं पर कीचड़ उछालना व अशालीन आरोप लगाना भी एक बड़ी वजह है। वोट की राजनीति ने महापुरुषों को भी बांट दिया है। यह स्थिति बदलनी चाहिए। महापुरुष किसी दल के कारण नहीं, बल्कि अपने कर्म की वजह से पूजनीय होते हैं। उन्हें उचित आदर मिलना ही चाहिए।

राकेश कौशिक नानौता, सहारनपुर

पलायन का हल

पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड में इसके कारणों और समाधान को तलाशने की दिशा में ग्राम्य विकास व पलायन आयोग ने कवायद शुरू कर दी है। इस कड़ी में आयोग ने सबसे पहले गांवों पर फोकस किया है। दावा किया गया है कि राज्य की सभी पंचायतों में सर्वे कराने के बाद लोगों के बीच से कई तरह की राय सामने आई है। अब इसके लिए ठोस समाधान व प्रभावी कार्ययोजना तैयार करनी होगी। देखा जाए, तो पलायन के लिए नीति-नियंताओं की अनदेखी ही जिम्मेदार है। मौजूदा सरकार ने इस समस्या पर फोकस किया है। ऐसे में, अब आयोग की जिम्मेदारी है कि पलायन के कारणों की सही पड़ताल कराकर इसके समाधान के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार करे और उसे सरकार के समक्ष रखे। सरकार को भी चाहिए कि वह गांव और ग्रामीणों को केंद्र में रखकर आयोग की महत्वपूर्ण सिफारिशों को जमीन पर उतारे।

विमल सिंह राणा, टिहरी गढ़वाल

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