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हिंसक विरोध

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर जिस तरह से विभिन्न भागों में आगजनी और हिंसा होती रही, वह तरीका तो गलत था ही, उससे भी ज्यादा गलत यह है कि लोग अब पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने लगे हैं। इसी का...

हिंसक विरोध
हिन्दुस्तानTue, 25 Feb 2020 11:55 PM
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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर जिस तरह से विभिन्न भागों में आगजनी और हिंसा होती रही, वह तरीका तो गलत था ही, उससे भी ज्यादा गलत यह है कि लोग अब पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने लगे हैं। इसी का नतीजा है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक पुलिसकर्मी को शहीद होना पड़ा। दिल्ली की हिंसा से आम जनता भयभीत भी है और प्रभावित भी, लेकिन वह करे,तो क्या? उपद्रवियों से निपटना बड़ा मुश्किल होता है। दिल्ली को जलाने का उपक्रम तब किया गया, जब एक विदेशी मेहमान देश के दौरे पर थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने से पहले ही यहां पत्थरबाजी शुरू हो गई थी, जिससे यह पता चल जाता है कि हिंसा यूं ही नहीं फैली, बल्कि यह रची गई किसी साजिश का परिणाम है। विदेशी मेहमान के रहते ऐसा हिंसक विरोध आखिर कहां की मेहमाननवाजी है? इससे अमेरिकी राष्ट्रपति निश्चय ही भारत की अच्छी छवि लेकर नहीं  गए होंगे।
नीरज कुमार पाठक, नोएडा

अराजक स्थिति
नए नागरिकता कानून के विपक्ष और पक्ष में चल रहा आंदोलन अब हिंसक रूप ले चुका है। कानून के विरोध के नाम पर सड़क बंद करने के खिलाफ लोगों का जागरूक होना स्वाभाविक है। क्रिया के बदले प्रतिक्रिया होने से बचना सरल नहीं होता। आंदोलन के नाम पर आगजनी और दंगे किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हो सकते हैंैं। अराजक आंदोलन के खिलाफ सख्ती का प्रयोग ही सरकार के पास एकमात्र विकल्प शेष प्रतीत हो रहा।
सुधाकर आशावादी, मेरठ

बढ़ती सांस्कृतिक साख
गत वर्ष अमेरिका में हुए ‘हाउडी मोदी’ और सोमवार को अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम का ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम द्विपक्षीय रिश्तों का प्रदर्शन मात्र नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद के संकेत हैं। इस कार्यक्रम के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सपरिवार भारत की दो-दिवसीय यात्रा की। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा बार-बार भारतीय संस्कृति का उल्लेख करना और यह कहना कि ‘ऐसा धार्मिक सद्भाव कहीं और नजर नहीं आता’ संपूर्ण भारतवासियों के लिए अपनी संस्कृति पर गौरव करने का विषय है। मोटेरा स्टेडियम के मंच से अमेरिकी राष्ट्रपति ने गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम और उज्ज्वला योजना की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया और अमेरिका-भारत रक्षा सौदे का जिक्र करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री को एक ‘टफ नेगोशिएटर’ और ‘ग्रेट फ्रेंड’ कहा। यह केवल दोनों शीर्ष नेताओं के व्यक्तिगत रिश्तों का नहीं, बल्कि भारत की उस गौरवशाली परंपरा-संस्कृति और संप्रभुता का संकेत है, जो ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ को चरितार्थ करता है। इन सबसे यह स्पष्ट हो गया है कि हम वैश्विक स्तर की योजनाओं से कल्याणकारी राज्य की तरफ अग्रसर हैं।
शिव मोहन मिश्र, राजपुर, सीवान

ट्रंप का आना 
अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भाषणों में व्यक्त विचार भारत और अमेरिका के बीच गहरे होते संबंधों के प्रमाण हैं। दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का नतीजा तो बाद में सामने आएगा, मगर आतंकवाद को रोकने और विश्व में शांति-स्थापना को लेकर दोनों देशों के दृष्टिकोण में समानता हर्ष का विषय है। अहमदाबाद में पाकिस्तान प्रायोजित आतंक के बारे में बोलकर ट्रंप ने साफ संकेत दिया कि अब इस्लामी आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है। यानी पाकिस्तान को अपनी जमीन से चलने वाली आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसनी ही होगी। ट्रंप के भाषण में भारत की कला-संस्कृति और खिलाड़ियों की चर्चा से हर भारतीय को गर्व का अनुभव हुआ होगा, साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि भारतीय कला की धमक अब सात समंदर पार तक पहुंच गई है।
भूपेंद्र सिंह रंगा, पानीपत, हरियाणा

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