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साफ पानी और हवा

16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने देश की आबोहवा में घुलते जहर और जल संकट पर जो चिंता जताई है, वह उल्लेखनीय है। अपने लेख ‘ताकि सभी को मिल सके साफ पानी और स्वच्छ...

साफ पानी और हवा
हिन्दुस्तानSun, 18 Aug 2019 10:14 PM
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16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने देश की आबोहवा में घुलते जहर और जल संकट पर जो चिंता जताई है, वह उल्लेखनीय है। अपने लेख ‘ताकि सभी को मिल सके साफ पानी और स्वच्छ हवा’ में उन्होंने लिखा है कि अगर आधुनिकता और भौतिकतावाद की अंधी दौड़ में हम कुदरत की नाक में दम करते रहे, तो भविष्य में न साफ पानी नसीब होगा, न स्वच्छ हवा। हमारे देश में पर्यावरण और पानी बचाने के लिए बहुत-से अभियान सरकारों, सामाजिक संगठनों और अन्य संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी बहुत से लोग हवा और पानी का निर्मम दोहन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। कुछ लोगों की यह भी संकीर्ण सोच है कि हमारे अकेले प्रयास करने से ही कहां पर्यावरण और पानी साफ रहेगा या बचेगा, लेकिन ऐसे लोगों को याद रखना चाहिए कि अगर देश का हरेक नागरिक एक-एक पेड़ भी लगाए और पानी की एक-एक बूंद भी संभाले, तो देश में एक नई क्रांति आ जाएगी और एक दिन में हजारों लीटर पानी बच जाएगा। (राजेश कुमार चौहान, जालंधर)

प्लास्टिक से बचें
प्लास्टिक की थैलियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने के लिए समय-समय पर आदेश जारी होते रहते हैं, इसके लिए कड़ा कानून भी बनाया गया है। प्लास्टिक की थैलियों के कारण बहुत गंदगी होती है और अनेक बीमारियां भी पनपती हैं। इनके कारण कई जीव-जंतु, पशु जान तक गंवा देते हैं। गोवंश को भी भारी नुकसान होता है। समाजसेवियों को भी इसके लिए आगे आना होगा। आम लोगों को भी प्लास्टिक से होने वाले व्यापक नुकसान को समझना होगा। हमें समझना होगा कि प्लास्टिक की पैकिंग में दवाइयां भी  खतरनाक हैं। सबके प्रयास से ही इस खतरे को कम किया जा सकेगा। (विजय कुमार धनिया, नई दिल्ली)

समानता का अधिकार
भारतीय संविधान लागू हुए कई दशक बीत चुके हैं, परंतु आज भी देश की आम जनता जमीनी स्तर पर असमानता के कारण अपमानित जीवन जीने को मजबूर है। देखने-सुनने में आता है कि कहीं जाति के नाम पर, तो कहीं धर्म के नाम पर और कहीं क्षेत्र के नाम पर समानता के मौलिक अधिकार का गला घोटा जा रहा है। लिंग के आधार पर अपमान-असमानता की जड़ें उखड़ने का नाम नहीं ले रही हैं। रोजगार व व्यवसाय के क्षेत्र में तो उच्च स्तर की असमानता देखने को मिलती है। मानवाधिकारों की अनदेखी हो रही है। एक तरफ दिल्ली के अधिकारियों को फिट रहने के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच की सुविधा का आदेश जारी है, लेकिन अनुबंधित अधिकारियों के लिए क्या? सरकार के स्तर पर भी समानता के अधिकार की अनदेखी क्यों हो रही है? (अनुज कुमार गौतम, दिल्ली)

संयम की जरूरत
भारत में प्रत्येक नागरिक को संयम बरतना चाहिए, ताकि कोई ऐसी उत्तेजना न फैले, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़े। जम्मू-कश्मीर के कारण माहौल कुछ दिन तनावपूर्ण रहेगा, और इसे नियंत्रित और सही रखना केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है। जम्मू-कश्मीर को जल्द राज्य बनाकर वहां चुनाव कराने की जरूरत है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर सचेत रहने की जरूरत है। वहां भी तमाम देशों के साथ संबंधों में संयम और सावधानी बरतने की जरूरत है। कूटनीतिक रूप से भारत को विगत वर्षों में जो बढ़त हासिल हुई है, वह कायम रहनी चाहिए। हम अड़े रहे, तो अब पाकिस्तान को आतंकवाद का रास्ता छोड़ना ही होगा। पाकिस्तान और चीन, दोनों ही मिलकर भारत के खिलाफ सक्रिय दिख रहे हैं, लेकिन भारत को तर्क और प्रमाण के साथ हमेशा तैयार रहना चाहिए। दुनिया में अब किसी भी तरह का अन्याय भारत नहीं झेल सकता। (कमलेश सिंह, नजफगढ़, दिल्ली-43)

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