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सामरिक चुनौती

न तो अहंकार में डूबा चीन मानने को तैयार है, और न पाकिस्तान अपनी बुराइयां छोड़ने को राजी है। चीन जहां भारत को बातचीत में उलझाकर सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है, वहीं हजारों पाकिस्तानी सैनिक...

सामरिक चुनौती
हिन्दुस्तानSun, 25 Jul 2021 08:46 PM

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न तो अहंकार में डूबा चीन मानने को तैयार है, और न पाकिस्तान अपनी बुराइयां छोड़ने को राजी है। चीन जहां भारत को बातचीत में उलझाकर सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है, वहीं हजारों पाकिस्तानी सैनिक तालिबान में शामिल होकर जंग लड़ रहे हैं। ये अफगानिस्तान में उन परियोजनाओं को निशाना बना रहे हैं, जिनमें भारत ने काफी निवेश कर रखा है। यह एक गंभीर और चिंताजनक स्थिति है। चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत को हर दृष्टि से कमजोर करने की कोशिशें कर रहे हैं। इनकी हरेक चाल को विफल करने के लिए हमें आंतरिक मोर्चे के साथ-साथ बाहरी मोर्चे पर भी सतर्क रहना होगा। इन दुश्मनों के दांतों को खट्टा करना जरूरी है।
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन

बीमार करता मोबाइल
आजकल घरों, पार्कों, शॉपिंग मॉल अथवा रेस्टोरेंट में मां-बाप से ज्यादा बच्चों के हाथों में मोबाइल दिखता है। नए अध्ययन चेताते हैं कि बच्चों को मोबाइल से दूर नहीं किया गया, तो उनकी सेहत को काफी नुकसान हो सकता है। बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल आमतौर पर वीडियो देखने या गेम्स खेलने में करते हैं। इससे वे भावनात्मक रूप से कमजोर होने लगते हैं और सामाजिक परिवेश से दूर चले जाते हैं। इससे उनमें आक्रामकता भी बढ़ती है। आंखों को नुकसान तो खैर होता ही है। अपनी सहूलियत के लिए माता-पिता बच्चों के हाथों में मोबाइल तो दे देते हैं, लेकिन इससे बच्चों पर कितना बुरा असर पड़ रहा है, यह अभिभावकों को समझना चाहिए। बच्चों में लग रही यह लत उन्हें छुड़वानी होगी।
प्रदीप कुमार दुबे, देवास

संसद चले
संसद सत्र से पहले प्रधानमंत्री सर्वदलीय बैठक बुलाते हैं, जिसमें संसद को ठीक से चलाने के लिए अपील और चर्चा की जाती है। लेकिन अगले ही दिन संसद की बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ जाती हैं। ऐसा नित्य-प्रतिदिन होता है, और अंत में संसद की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जाती है। इस तरह देश के करोड़ों रुपये बर्बाद हो जाते हैं। देश की जनता यह जानना चाहती है कि संसद का गठन क्या केवल हंगामा करने और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के हनन के लिए किया गया है? या फिर, यह देश की समस्याओं के निदान के लिए चर्चा व सलाह-मशविरे का एक प्रमुख मंच है? बिना किसी कार्यवाही के संसद की बैठकों का बाधित होना न देशहित में है, और न जनहित में। ऐसे में, जरूरी है कि संसद को सही से चलाने के लिए कुछ सख्त नियम बनाए जाएं। ऐसे कानून बनने चाहिए कि संसद को बाधित करके अपनी सियासत करने वाले नेता बंगले झांकते नजर आएं। संसद में सकारात्मक बहस देखने के लिए ऐसा किया जाना अति-आवश्यक है।
जगपाल सिंह भाटी, बरेली

महंगाई पर लगाम
बेलगाम बढ़ती महंगाई से पूरा देश आहत है। सन 2014 के पहले जब कभी महंगाई का मसला उठता था, तो कई सेलिब्रेटी ट्वीट कर-करके अपनी भड़ास निकाला करते और उस वक्त की सरकार पर जमकर निशाना साधा करते थे। मगर अब लगता है कि उन लोगों के ट्वीट में जंग लग गई है, तभी तो उनके ट्विटर पर महंगाई के विरोध में किसी तरह के शब्द नहीं दिखते। ऐसा लगता है, मानो महंगाई कोई मसला है ही नहीं या फिर यह उस तरह से नहीं बढ़ रही, जिससे ज्यादातर लोगों को परेशानी हो। सोशल मीडिया के कुछ बयानवीर तो यह भी तर्क देते हैं कि महंगाई का मुद्दा दरअसल केंद्र सरकार को बदनाम करने और उसकी छवि खराब करने की साजिश है। ऐसे बयानवीरों से भगवान ही बचाए। फिर भी, यह कहना गलत नहीं होगा कि महंगाई पर लगाम लगनी चाहिए, क्योंकि यह इतनी बढ़ गई है कि आम आदमी का जीना मुहाल हो गया है।
विषधर खरा, उज्जैन

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