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यह उतावलापन क्यों

एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें स्कूल-कॉलेज खोलने को उतावली हो रही हैं, तो दूसरी तरफ कोरोना का संक्रमण कमोबेश सामुदायिक स्तर पर चला गया है। अभी स्कूल नहीं खुलने पर ही नए-नए खतरे सामने आ रहे हैं। मरीजों...

यह उतावलापन क्यों
हिन्दुस्तान Mon, 20 Jul 2020 10:38 PM
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एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें स्कूल-कॉलेज खोलने को उतावली हो रही हैं, तो दूसरी तरफ कोरोना का संक्रमण कमोबेश सामुदायिक स्तर पर चला गया है। अभी स्कूल नहीं खुलने पर ही नए-नए खतरे सामने आ रहे हैं। मरीजों की प्रतिदिन की संख्या 40 हजार के आसपास पहुंच गई है। जब देश में सिर्फ 500 मरीज थे, तब देशव्यापी लॉकडाउन भुगतने के लिए मजबूर किया गया, और जब सख्त लॉकडाउन लगाने की स्थिति है, तो सरकार अनलॉक की प्रक्रिया आसान बना रही है। साफ है, ‘जान भी, जहान भी’ के नारे से जान को अब बाहर कर दिया गया है। अब अभिभावकों को अपने बच्चों के जीवन से हो रहे इस खिलवाड़ को रोकने के लिए खुद ही उन्हें घर से बाहर न भेजने की मुहिम शुरू कर देनी चाहिए। शायद इससे सरकार 
पर कुछ दबाव बने।
सुभाष बुड़ावन वाला 
रतलाम, मध्य प्रदेश

नौजवान आगे आएं
पिछले दो-तीन वर्षों से देश के कई राज्यों में सियासी उठापटक देखी गई है। इन दिनों राजस्थान में भी ऐसा ही कुछ चल रहा है। कांग्रेस के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाने वाले सचिन पायलट को राज्य में पार्टी के अध्यक्ष पद के साथ-साथ उप-मुख्यमंत्री पद से भी बर्खास्त कर दिया गया है। हटाने का उद्देश्य कुछ भी रहा हो, लेकिन कयास यह है कि जनता सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। जिस देश की कुल आबादी का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा 35 साल से कम उम्र का हो, वहां राजनीति में युवाओं की हिस्सेदारी बढ़नी ही चाहिए। देश की सियासत में नई सोच के साथ युवाओं का आगे आना जरूरी है। इससे देश की दिशा और दशा, दोनों में सकारात्मक बदलाव आएंगे।
जीवन वर्मा
 परसाबाद, कोडरमा, झारखंड

खुलें शिक्षण संस्थान
कोरोना ने हम सभी के जीवन में कई बदलाव किए हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से हिल चुकी है। हम सभी के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, लेकिन हम अपना भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते। आगे बढ़ते रहना मानव जीवन का मूल मंत्र है, इसलिए देश के सभी स्कूलों-कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जारी रहनी चाहिए। विद्यार्थियों के जीवन के साथ कोरोना खिलवाड़ नहीं कर सकता। सरकार को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि शिक्षण संस्थानों में ऑनलाइन पढ़ाई जारी रहे। शिक्षकों को भी समान ऊर्जा के साथ विद्यार्थियों को पढ़ाना चाहिए। इस लिहाज से सरकार को कोरोना से संबंधित बाकायदा दिशा-निर्देश जारी करते हुए शिक्षण संस्थानों को खोलने की तरफ बढ़ना चाहिए।
शिवानी मेहर, दिल्ली

रणनीतिक सफलता
कोरोना को लेकर दिल्ली सरकार का काम सराहनीय माना जाएगा। अब राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना मरीजों की संख्या में कमी देखी जा रही है। प्रतिदिन मृत्यु का ग्राफ भी नीचे आ रहा है। यह बहुत खुशी की बात है। किंतु कोरोना की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। जब कोरोना को खत्म करने की नब्ज सरकार ने पहचान ली है, तो उसे तुरंत इसके समाधान में जुट जाना चाहिए। हम सबको यह काम सरकार के साथ मिलकर करना होगा। टेस्टिंग, ट्रेसिंग और बिना देरी के इलाज की जो बात स्वास्थ्य विशेषज्ञ शुरू से कह रहे थे, आखिर वही रणनीति काम कर रही है। बिना टेस्ट किए कोरोना वायरस को मात देना सीधी चढ़ाई चढ़ने जैसा है। हमें आने वाले दिनों के लिए भी तैयार रहने की जरूरत है। समाज में कुछ लोग शारीरिक दूरी, मास्क पहनने जैसे नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इनके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। हमें समझना होगा कि इस वक्त छोटी सी भूल भी संकट को बढ़ा सकती है। सरकारी नियमों का पालन हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
आशीष, नई दिल्ली

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