फोटो गैलरी

बुरी हालत

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रो-उत्पादों की कीमतों में इजाफा होने से इनके घरेलू दाम बढ़ते जा रहे हैं, जिससे आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ता जा रहा है। इससे गरीब मेहनतकश मजदूरों पर ज्यादा आफत आ गई है। वे...

बुरी हालत
हिन्दुस्तानWed, 13 Oct 2021 11:22 PM

इस खबर को सुनें

0:00
/
ऐप पर पढ़ें

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रो-उत्पादों की कीमतों में इजाफा होने से इनके घरेलू दाम बढ़ते जा रहे हैं, जिससे आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ता जा रहा है। इससे गरीब मेहनतकश मजदूरों पर ज्यादा आफत आ गई है। वे दिन-रात मेहनत-मजदूरी करते हैं, लेकिन आसमान छूती महंगाई के कारण उन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती। बेरोजगारी की बात करें, तो आज पढ़े-लिखे नौजवान भी दर-दर भटकने को मजबूर हैं। अपराध बढ़ता जा रहा है। मजदूरों का पलायन बढ़ गया है और कल-कारखाने बंद होने लगे हैं। इन सबका क्या उपाय हो? नेतागण तो चुनाव में खूब सपने दिखाते हैं। विकास का भी राग अलापते हैं। मगर आज की जो हालत है, वह कतई विकास नहीं है। गरीबी, भुखमरी, बेबसी, आदि से आखिर लोगों को कब राहत मिलेगी?
समरेंद्र कुमार, छपरा

चीन की करतूत
चोरी और सीनाजोरी का भद्दा उदाहरण कोई पेश कर रहा है, तो वह चीन है। उसने पहले ही हांगकांग में लोकतंत्र की हत्या करके उसकी आजादी छीन ली, और अब वह ताइवान में लोकतंत्र का गला दबाने को आतुर है। उसने बड़ी चालाकी से पूरे विश्व को कोरोना का मातम दिया। फिर, पड़ोसियों की सीमा में घुसकर अपनी विस्तारवादी नीति को पूरा कर रहा है। उसके नापाक इरादों को चुनौती देने का काम न केवल भारत ने किया है, बल्कि ताइवान जैसा छोटा देश भी उसकी नाक में मिर्ची डालने से नहीं चूक रहा। लोकतंत्र, आजादी व मानवाधिकार के समर्थक देशों और संयुक्त राष्ट्र को ताइवान, हांगकांग जैसे देशों की संप्रभुता बरकरार रखने के लिए चीन को ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए। इसके लिए सभी देश एकजुट हों, तो अच्छा रहेगा। 
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन

कायदे-कानूनों से दूर
यातायात पुलिस एवं विभाग के लाख प्रयासों के बावजूद दोपहिया एवं चौपहिया वाहन चालक संभलने को तैयार नहीं हैं। बिना हेलमेट और बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाना जैसे इनकी आदत बन चुकी है। लोगों को जागरूक करने के लिए यातायात सुरक्षा में लगे लोग स्कूलों व कार्यालयों में जाकर कार्यशालाएं करते हैं। मगर यहां के नियम शायद ही लोग आत्मसात कर रहे हैं। इसका नतीजा उन्हें चालान के रूप में भुगतना पड़ता है। दिक्कत यह है कि नियम तोड़ने वालों में आधी आबादी की संख्या भी ठीक-ठाक है, जो बिना ड्राइविंग लाइसेंस के दोपहिया वाहन चला रही हैं। यातायात पुलिस लगातार वाहन चालकों को जागरूक कर रही है। फिर भी, वाहन चालक नियमों की धज्जियां उड़ाने से नहीं चूक रहे हैं। वे बालिग हुए बिना और बिना ड्राइविंग लाइसेंस के ही गाड़ी चलाते हैं। ऐसे नौजवान खुद के साथ दूसरों की जान भी जोखिम में डालते हैं। उन्हें चेत जाना चाहिए, अन्यथा उन्हें या उनके परिजनों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
रजत यादव, कानपुर

जारी है लूट-खसोट
जब से कोरोना वायरस का भारत में आगमन हुआ है और महामारी ने रौद्र रूप दिखाया है, तब से लूट-खसोट का धंधा चरम पर है। इसमें सरकार और अवसर से लाभ उठाने वाले लोग भी शामिल हैं। जैसे, रेलवे विभाग कोरोना संक्रमण में राहत मिलने के बाद भी भोली-भाली जनता से भरपूर उगाही कर रहा है, जबकि ट्रेनों में भीड़ कभी कम हुई ही नहीं। कुछ ट्रेनें अपने पूर्ववत भाड़े पर महज दिखावे के लिए चल रही हैं। अधिकतर रेलगाड़ियां स्पेशल ट्रेन के नाम पर तिगुना भाड़े के साथ चल रही हैं। यह हाल तब है, जब आम जनता महंगाई की मार से परेशान है। सरकार अगर मानक के मुताबिक सभी तरह के भाड़े को लागू करे, तो यात्रियों को लाभ मिलेगा। मगर बड़ा सवाल तो यह है कि क्या सरकार ऐसा करेगी?
शकील गौहर सिगोड़वी, पटना
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें