जनमत का मजाक
क्या पायलट साहब भी सिंधिया की राह बढ़ चले हैं? जब राह वही है, तो लैंडिंग भी उनकी उसी पार्टी में होगी, जहां सिंधिया की हुई थी। राजनीति को पाक-साफ बनाने के लिए अब तक न जाने कितने उपाय किए गए हैं। चुनाव...
क्या पायलट साहब भी सिंधिया की राह बढ़ चले हैं? जब राह वही है, तो लैंडिंग भी उनकी उसी पार्टी में होगी, जहां सिंधिया की हुई थी। राजनीति को पाक-साफ बनाने के लिए अब तक न जाने कितने उपाय किए गए हैं। चुनाव आयोग को प्रहरी के तौर पर लाया गया, तो सदन में दलबदल विरोधी कानून बनाया गया। पर अफसोस, पैसे के सामने सब उपाय बौने साबित हुए। दूर की छोड़िए, हाल के महीनों में हमने कर्नाटक में देखा, मध्य प्रदेश में देखा और अब राजस्थान में देख रहे हैं। कल महाराष्ट्र में भी देखेंगे। फिर, लोकतंत्र का मतलब क्या रह जाता है? यह तो जनमत का अपमान है। दलबदल कानून में तो होना यह चाहिए था कि चुने गए जन-प्रतिनिधि पांच वर्षों तक पार्टी छोड़ नहीं सकते। मगर सवाल यह है कि इस तरह का कानून लाएगा कौन? वर्तमान शासकों से तो इसकी उम्मीद करना बेकार है।
जंग बहादुर सिंह
गोलपहाड़ी, जमशेदपुर
मुठभेड़ पर संदेह
विकास दुबे के एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका पर न केवल सवाल उठ रहे हैं, बल्कि स्थिति भी संदेहास्पद दिख रही है। मीडिया की गाड़ी को रोका जाना और विकास दुबे का हथकड़ी में जकडे़ होने के बावजूद पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश करना, आम लोगों को मथ रहा है। इससे पुलिसिया वरदी पर सवालिया निशान लग गए हैं। सच्चाई जो भी हो, वह तो जांच का विषय है, लेकिन जिस तरह से बार-बार पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर के आरोप लगते रहे हैं, वे शोचनीय और चिंताजनक हैं। एक सुदृढ़ न्यायिक व्यवस्था वाला देश कभी फर्जी एनकाउंटर को स्वीकार नहीं कर सकता। हालांकि, विपक्ष के स्वर बुलंद करने पर गृह मंत्रालय ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित कर दी है, फिर भी कुछ लोग पुलिस की जमकर तारीफ कर रहे हैं। अगर यह एनकाउंटर फर्जी साबित होता है, तो इसे सभ्य लोकतांत्रिक समाज पर बड़ा धब्बा माना जाएगा। लेकिन दूध और पानी को अलग करना जरूरी है, क्योंकि तभी हमारा समाज न्यायप्रिय और जीवंत रह सकेगा।
आयुष कुमार
दरभंगा, बिहार
उचित निर्णय
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उचित फैसला लिया है कि हर रविवार और शनिवार को पूर्णबंदी की जाएगी, जबकि बाकी दिनों में छूट मिलेगी। सूबे में कोरोना के मरीज हर दिन बढ़ रहे हैं। ऐसे में, यह एक अच्छा निर्णय साबित हो सकता है। हम इस लॉकडाउन का पालन करके कोरोना की शृंखला तोड़ सकते हैं। सभी नागरिकों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करके यह जता भी दिया है कि यह हम सबके लिए लाभदायक है। चूंकि सरकार हरसंभव प्रयासरत है कि कोरोना का संक्रमण जल्द से जल्द थम जाए, इसलिए सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना जनता का कर्तव्य होना चाहिए।
शुभम पांडेय गगन
अयोध्या, फैजाबाद
टूटेगी कोरोना की दीवार
फिल्मी दुनिया पर भी कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है। सिनेमा के सिकंदर महानायक अमिताभ बच्चन और उनके परिवार को इस वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया है, तो अनुपम खेर के परिजन भी इससे पीड़ित हो चुके हैं। बेशक देश की सभी सरकारें इस वायरस पर निर्णायक जीत हासिल करने में लगी हैं और सफलता भी धीरे-धीरे मिल रही है, परंतु चिंता की बात यह है कि नए मामले भी निरंतर बढ़ रहे हैं। चूंकि अभी बचाव ही एकमात्र विकल्प है, इसलिए लोगों को यह समझना होगा कि सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन ही उन्हें इस बीमारी से बचा सकता है। आज ‘एकता में बल है’ कहावत को चरितार्थ करने की जरूरत है, ताकि एक होकर हम इससे लड़ सकें और अपने देश व समाज को बचा सकें।
मृदुल कुमार शर्मा, गाजियाबाद