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जैविक खेती की ओर

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को देखते हुए हमें अब जैविक कृषि पर पर्याप्त जोर देना चाहिए। अभी स्थिति यह है कि चाहकर भी आम आदमी रासायनिक खाद से मुक्त जैविक शाक-सब्जी सुलभता से नहीं खरीद सकता। आज जिस तरह...

जैविक खेती की ओर
हिन्दुस्तानFri, 04 Mar 2022 09:57 PM

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पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को देखते हुए हमें अब जैविक कृषि पर पर्याप्त जोर देना चाहिए। अभी स्थिति यह है कि चाहकर भी आम आदमी रासायनिक खाद से मुक्त जैविक शाक-सब्जी सुलभता से नहीं खरीद सकता। आज जिस तरह से बीमारियां बढ़ रही हैं, सेहत को लेकर हर कोई सावधान रहना चाहता है। ऐसे में, सभी लोग जैविक खाद्य उत्पादों का सेवन करना चाहते हैं। इसी वजह से बजट में जैविक कृषि पर जोर देने की वकालत की गई थी। जब तक किसानों को जैविक कृषि के लिए सुविधाएं नहीं दी जाएंगी, या विपणन व्यवस्था दुरुस्त करते हुए उनको सरकारी सहायता नहीं दी जाएगी, तब तक रासायनिक खाद का प्रयोग उनके लिए अनिवार्य रहेगा। नशा मुक्ति की तरह सरकार को जैविक कृषि की तरफ गंभीरता दिखानी चाहिए। अगर हम अपने किसानों को जैविक खेती की ओर मोड़ सकें, तो यह हरित क्रांति जैसे किसी आंदोलन का आगाज कहा जाएगा, जिसका कृषि-व्यवस्था पर दूरगामी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
पवन शर्मा, पटना

आत्मनिर्भर होना जरूरी
भारतीयों (नागरिकों व छात्रों) के लिए यूक्रेन की दर्द भरी कहानी सचमुच यही कह रही है कि भारत का आत्मनिर्भर बनना बहुत जरूरी है। आखिर क्यों हमारे छात्र शिक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर हों? आखिर क्यों बेरोजगार परदेस का रुख करें? मेरा मानना है कि इसी दो समस्या का यदि समाधान हो जाता है, तो भारतवासियों को काफी राहत मिलेगी। ये कितनी बड़ी समस्याएं हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भी किसी देश पर मुसीबतों का पहाड़ टूटता है, तो अनिवासी भारतीयों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है, जिससे सरकार व जनता, दोनों परेशानी में आ जाती हैं। यह बात सच है कि आधुनिक युग में एक-दूसरे के बिना विश्व का कोई देश आगे नहीं बढ़ सकता, फिर भी बुनियादी सुविधाएं हमें खुद जुटानी चाहिए और उनके प्रबंध का हरसंभव प्रयास भी करना चाहिए। मोदी सरकार के मूलमंत्र ‘आत्मनिर्भर भारत’ को सभी के सहयोग से तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए। इससे यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा और हमारा कारोबार कहीं ज्यादा मजबूत हो सकेगा। 
शकुंतला महेश नेनावा
गिरधर नगर, इंदौर, म.प्र.

अपना धर्म निभाए भारत
आज यूक्रेन में जिस तरह के हालात बने हैं, उसके मद्देनजर शांति की प्राथमिकता जरूरत बनकर उभरी है। चूंकि भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ को जीता है और हर संकट में शांतिपूर्ण समाधान को प्राथमिकता देता है, ऐसे में आज जब रूस और यूक्रेन के बीच परमाणु युद्ध की नौबत आ गई है, तब विश्व शांति में भारत की भूमिका काफी अहम हो जाती है। भारत भले ही महाशक्ति न हो, मगर महाशक्तियों को शांति के मार्ग पर लाने में वह सक्षम हो सकता है। उसे अपना यह धर्म निभाना चाहिए, ताकि इस युद्ध का अंत हो। उसका तटस्थ रहना कतई उचित नहीं है।
अमृतलाल मारू ‘रवि’, धार, म.प्र.

नारी शक्ति
हाल ही में सेबी की नई प्रमुख के रूप में माधबी पुरी बुच के नाम की घोषणा आधुनिक भारत में महिलाओं की प्रगतिशील भूमिका को दर्शाती है। सेबी की पूर्णकालिक सदस्या के रूप में उन्होंने सराहनीय कार्य किए हैं। आज देश में एकाध अपवाद को छोड़ दें, तो महिलाओं ने कमोबेश हर जगह अपनी अलग और बेहतर पहचान बनाई है। ऐसे समय में, जब दुनिया भर में महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र का सफलतापूर्वक नेतृत्व कर रही हैं, तब एक प्रतिभाशाली महिला का भारत के इतने महत्वपूर्ण संस्थान का प्रमुख बनना निश्चित तौर पर भारतीय महिलाओं के अथक परिश्रम का सराहनीय परिणाम है। यह भी एक संयोग ही है कि इस घोषणा के साथ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) भी निकट ही है।
किरण नेगी, ऋषिकेश
 

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