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आचरण में दिखें राम

श्रीराम समाज में समता के मूल और सर्व अभयदाता हैं। रावण को युद्ध में परास्त करने के बाद भी उन्होंने लक्ष्मण को रावण के पास आदर के भाव से भेजा और उनसे सीखने का आग्रह किया। आज के युग में हम सभी को राम...

आचरण में दिखें राम
हिन्दुस्तान Mon, 03 Aug 2020 11:41 PM
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श्रीराम समाज में समता के मूल और सर्व अभयदाता हैं। रावण को युद्ध में परास्त करने के बाद भी उन्होंने लक्ष्मण को रावण के पास आदर के भाव से भेजा और उनसे सीखने का आग्रह किया। आज के युग में हम सभी को राम के आदर्शों पर चलने की जरूरत है। इससे समाज की कई समस्याएं खुद-ब-खुद खत्म हो सकती हैं। सत्ता के मोह में फंसे नेता यदि सचमुच राम के आदर्शों पर चलें, तो वे जनता की सेवा में एकजुट खडे़ नजर आएंगे। राम का संपूर्ण जीवन जिस तरह से लोक-कल्याण में बीता, उससे हमें आज सीख लेने की जरूरत है। निजी जीवन में भी राम संदेश देते हैं, क्योंकि उनके मन में कभी कैकेयी या किसी अन्य के प्रति द्वेष नहीं दिखता, जबकि आज सगे मां-बाप भी बैरी प्रतीत होते हैं। ऐसे में, आज हम सभी राम के आदर्शों, आचरण और गुणों का अनुसरण करके एक सशक्त और समृद्ध भारत का सपना साकार कर सकते हैं।
हरीश कुमार शर्मा, दिल्ली

स्वागतयोग्य कदम
नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा देने की वकालत स्वागत के योग्य कदम है। मातृभाषा के माध्यम से पठन-पाठन से छात्र अपने आस-पास की सभ्यता और संस्कृति को अपने ज्ञान से जोड़ पाता है, जिससे सीखने की उसकी क्षमता सुधरती है। शिक्षा का मकसद किसी विषय में समझ और सृजनशीलता का विकास करना है, और प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा को छोड़कर दूसरी भाषा में शिक्षा प्रदान करने से हम बचपन से ही छात्र-छात्राओं को रट्टू तोता बना डालते हैं। मातृभाषा में शिक्षा की बात राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने भी कही थी, और कई सारे अनुसंधानों में यह बात साबित हो चुकी है कि मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने से विद्यार्थियों में विषयगत रुचि, समझ और सृजनशीलता का विकास उच्चतम स्तर पर होता है। यही नहीं, इससे छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास में मदद मिलती है।
शैलेश मिश्र, बीएचयू

वोट बैंक की राजनीति
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर तत्काल तीन तलाक पर कानून बना दिया। इसी तरह, कोर्ट के निर्देश पर अयोध्या में भव्य मंदिर भी बनने जा रहा है। लेकिन इसी कोर्ट के निर्देश पर निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को अंतिम कुल वेतन पर 50 प्रतिशत पेंशन नहीं मिल पा रही है। इन कर्मचारियों को अभी जो पेंशन मिल रही है, उससे ज्यादा तो कई राज्य सरकारें वृद्धावस्था पेंशन दे रही हैं, जबकि इस पेंशन में व्यक्ति को कोई रकम जमा नहीं करनी होती है। निजी कर्मचारी अगर अपना पैसा किसी बैंक में भी जमा कर दें, तो बैंक महीने में कुछ ऐसी ही रकम दे देंगे। और, बैंक तो मूल धन बाद में बच्चों को लौटा देते हैं, लेकिन क्या कर्मचारी भविष्य निधि पैसा लौटाता है? लगता है, सत्तारूढ़ पार्टी केवल वही काम कर रही है, जिसमें उसे वोट का फायदा हो। 
ज्ञानेंद्र भारती 
वसुंधरा, गाजियाबाद

सद्भाव का उत्सव
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण सभी राम भक्तों के लिए उल्लास की बात है। कहते हैं, समय कभी नहीं ठहरता, तो कोरोना काल में हम कैसे ठहर जाएं? राम मंदिर दरअसल राम में विश्वास का प्रतीक है, जिसके लिए लंबा इंतजार किया गया है। अब वह शुभ मुहूर्त आ गया है। हालांकि, हमें अपनी भारतीयता को कतई नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि रामराज्य किसी से बैर का भाव नहीं रखने की प्रेरणा देता है। इसलिए आस्था और विश्वास के इस पावन अवसर पर लोगों को भरपूर संयम और मर्यादा पुरुषोत्तम की मर्यादा का परिचय देना चाहिए। यह कोई जीत का जश्न नहीं है, जिससे किसी अन्य पक्ष की भावनाएं आहत की जाएं। यह तो आपसी सद्भाव का एक उत्सव है, जिसे राम के आदर्शों के साथ मनाया जाना चाहिए।
अंशुमाला कुमारी
 

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