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बिजली बिन बेहाल

अबाध बिजली आपूर्ति को लेकर सरकार द्वारा जनता से किए गए वादे खोखले साबित हो रहे हैं। सरकार की मानें, तो उत्तर प्रदेश में लोगों को 18-24 घंटे तक बिजली मिल रही है, मगर हकीकत में ऐसा सिर्फ सरकारी फाइलों...

बिजली बिन बेहाल
हिन्दुस्तानWed, 19 Jul 2017 09:57 PM
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अबाध बिजली आपूर्ति को लेकर सरकार द्वारा जनता से किए गए वादे खोखले साबित हो रहे हैं। सरकार की मानें, तो उत्तर प्रदेश में लोगों को 18-24 घंटे तक बिजली मिल रही है, मगर हकीकत में ऐसा सिर्फ सरकारी फाइलों में है। बिजली की हालत तो पिछली सरकार से भी बुरी हो गई है। हमारे कस्बे निगोही में महज पांच-छह घंटे ही बिजली रह पाती है, और वह भी इतनी लो-वोल्टेज कि पंखा तक नहीं चल सकता। शिकायत के लिए यदि विभाग को फोन लगाएंगे, तो अव्वल वह स्विच ऑफ मिलेगा, नहीं तो घंटी बजती रहेगी। पावर हाउस के कर्मचारी अपनी परेशानी बताकर इस समस्या से पल्ला झाड़ लेते हैं। आखिर जनता से यूं झूठे वादे किए ही क्यों जाते हैं? इस उमस भरी गरमी में बिजली का न रहना काफी दुखदायी है। पता नहीं, उत्तर प्रदेश में अबाध बिजली आपूर्ति का सपना भला कब सच होगा?
नृपेंद्र मिश्र

बंद कर दें यूपीएससी
भाजपा हमेशा से कारोबारियों की पार्टी मानी जाती रही है, पर शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह पार्टी महत्वपूर्ण ओहदों को भी निजी हाथों में गिरवी रख देगी। खबर आई है कि निजी क्षेत्र के लोगों की सीधे सरकारी विभागों में प्रधान सचिव, निदेशक, संयुक्त सचिव जैसे गरिमामय पदों पर नियुक्ति सुनिश्चित करने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। आखिर यह क्या हो रहा है? अगर इसी तरह से नियुक्ति करनी है, तो फिर संघ लोक सेवा आयोग को बंद कर देना चाहिए। जब सरकार को लग रहा है कि निजी क्षेत्रों से आए लोग ही बेहतर सेवा दे सकते हैं, तो फिर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा की क्या जरूरत?
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी

जाम से जूझती दिल्ली
आम जनता की राय लें, तो आज दिल्ली के ज्यादातर इलाके ट्रैफिक जाम की समस्या से दो-चार हो रहे हैं। फिर चाहे बात पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर क्षेत्र की हो अथवा दक्षिण दिल्ली के लाजपत नगर की, कोई भी इलाका ट्रैफिक जाम की समस्या से अछूता नहीं है। इसकी एक वजह अतिक्रमण भी है। अतिक्रमण और सड़कों पर अनधिकृत पार्किंग के कारण सड़कें तंग हो जाती हैं, जिसकी वजह से न सिर्फ जाम लगता है, बल्कि दुर्घटनाएं भी अक्सर देखी जाती हैं। आईटीओ, छतरपुर, मंडी हाउस, डीएनडी फ्लाई-ओवर पर आए दिन जाम देखे जाते हैं, जिस वजह से आम जनता को काफी मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं। ऐसे में, जरूरत इसी बात की है कि दिल्ली सरकार जल्द से जल्द सड़कों के किनारे किए जाने वाले अतिक्रमण को हटाए और अधिक से अधिक पार्किंग की व्यवस्था करे। संभव हो, तो भूमिगत पार्किंग की व्यवस्था की जाए। राजधानी को ट्रैफिक जाम से मुक्त करना बहुत जरूरी है। अगर दिल्ली ही इस समस्या से जूझती रहेगी, तो दुनिया के तमाम देशों में हमारी कैसी छवि बनेगी?
गौरव, नई दिल्ली

शिक्षा या व्यापार
कहा जाता है कि शिक्षा एक व्यापार बन चुकी है। मगर मेरा मानना है कि शिक्षा व्यापार नहीं बनी है, बल्कि उसे आज व्यापार बना दिया गया है। सवाल यह है कि आज के समय में शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई किस तरह से कराई जाती है कि सरकारी और निजी स्कूल, दोनों में अंतर काफी ज्यादा गहरा गया है? दरअसल, सरकारी स्कूल में पढ़ाई की वैसी व्यवस्था नहीं है, जैसी निजी स्कूलों में दिखती है। जबकि आज भी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या कम नहीं है। साफ है कि केंद व राज्य सरकारें अपने स्कूलों का स्तर सुधारने को लेकर उदासीन बनी हुई हैं। सरकार को ऐसे विषयों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। यानी शिक्षा को व्यापार बनाने में हमारी सरकार का भी बहुत हाथ है। उसने देश के शैक्षणिक माहौल का बांट दिया है। जब तक शिक्षा नीति एक समान नहीं होगी, तब तक समाज में समानता ला पाना भी मुश्किल ही है।
कृष्ण, लोनी, उत्तर प्रदेश

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