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शिक्षित बने समाज

शिक्षा एकमात्र ऐसा औजार है, जिससे एक अच्छे समाज का सपना साकार हो सकता है। शिक्षा से ही राष्ट्र का निर्माण होता है और वह विकास की पटरी पर आगे बढ़ता है। मगर अपने देश में शिक्षा पर अब भी पूरी तरह ध्यान...

शिक्षित बने समाज
हिन्दुस्तानTue, 09 May 2017 10:15 PM
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शिक्षा एकमात्र ऐसा औजार है, जिससे एक अच्छे समाज का सपना साकार हो सकता है। शिक्षा से ही राष्ट्र का निर्माण होता है और वह विकास की पटरी पर आगे बढ़ता है। मगर अपने देश में शिक्षा पर अब भी पूरी तरह ध्यान नहीं दिया जा रहा। यह जानते हुए भी कि निजी स्कूलों में महंगी फीस होने के कारण अधिकतर बच्चे सरकारी स्कूलों पर निर्भर हैं, सरकार इन स्कूलों की दशा-दिशा सुधारने को सक्रिय नहीं दिखती। झारखंड में ही देखें, तो यहां सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है। यहां शिक्षा के अधिकार कानून का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है। स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया लंबित हैं। ऐसी हालत में शिक्षा के मंदिर की दशा भला कैसे सुधर सकती है?
कुंदन कुमार गोंझू, बुंडू

असमंजस में आप
कपिल मिश्रा को भले ही ‘आप’ से बर्खास्त कर दिया गया है, लेकिन वह अपनी बातों पर अडे़ दिख रहे हैं। हर दिन वह एक नया खुलासा कर रहे हैं। ‘आप’ की तरफ से कमी यह नजर आ रही है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सामने नहीं आ रहे। बस एक ट्वीट के जरिये उन्होंने अपनी राय रखी है कि ‘सत्यमेव जयते’। अगर कपिल मिश्रा सही साबित होते हैं, तो निश्चय ही उनकी हिम्मत की दाद देनी होगी। मगर यदि वह गलत साबित हुए, तो दिल्ली वालों की नजरों में अरविंद केजरीवाल की इज्जत और बढ़ जाएगी। जो भी हो, सच सामने आना ही चाहिए। पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
दक्ष आर्यन, सेक्टर 56, नोयडा

नीतीश पर दाग
नीतीश कुमार एक ऐसी छवि वाले नेता माने जाते रहे हैं, जो जातिवादी सोच से दूर हैं और विकास की बात कहते हैं। इसलिए बिहार की जनता ने उन्हें सत्ता भी सौंपी। मगर अब जिस तरह बिहार में मिट्टी घोटाला सामने आया है और एक टीवी चैनल पर लालू प्रसाद यादव व शहाबुद्दीन के बीच बातचीत के टेप प्रसारित हुए हैं, उससे नीतीश के दामन भी दागदार होते दिख रहे हैं। ऐसा लगता है कि नीतीश भी अब समझौतावादी राजनीति करने लगे हैं। राजनीति में अपराधीकरण का विरोध करने वाले नीतीश अब उन्हीं लोगों को मदद पहुंचाने लगे हैं, जिन पर राजनीति को दागदार करने के आरोप हैं। लिहाजा लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए उन्हें दोषियों पर कार्रवाई करनी ही चाहिए।
मनीषा, दरभंगा, बिहार

वापस हो बढ़ा किराया
दिल्ली मेट्रो का बढ़ा हुआ किराया कितना न्यायपूर्ण है, यह उससे यात्रा करने वाले यात्रियों से पूछा जाना चाहिए? दिल्ली में जाम व प्रदूषण की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। इसीलिए दिल्ली मेट्रो का निजी वाहनों के विकल्प के रूप में भी देखा जाता है। मगर अब किराया बढ़ने से लोग फिर से निजी वाहनों का इस्तेमाल करने लगेंगे। यहां प्रदूषण कम हो या जाम की समस्या न रहे, इसके लिए यह जरूरी है कि लोग सार्वजनिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। इसीलिए सरकार की यह कोशिश होनी चाहिए कि किराया इतना ही हो, जो आम जन वहन कर सके। केंद्र सरकार इस पर गौर करे।
मुकेश डबास, पूठ खुर्द, दिल्ली

बढ़ेगी जाम की समस्या
आखिरकार दिल्ली मेट्रो ने किराये में वृद्धि कर दी है। सरकार का यह नैतिक दायित्व है कि नागरिकों को सस्ती, सुलभ, सुगम व सुरक्षित यातायात सेवा उपलब्ध कराए। इस लिहाज से किराये में एक साथ इतनी अधिक बढ़ोतरी तर्कसंगत नहीं। साथ ही यह तर्क भी कोई मायने नहीं रखता कि आठ साल से किराया नहीं बढ़ा है। इतनी सवारियां रोजाना इससे यात्रा करती हैं, तो फिर किराये बढ़ाने का भला क्या औचित्य? मेट्रो सेवा से दिल्ली की दो विकट समस्याओं- ट्रैफिक जाम और प्रदूषण से कुछ राहत मिलती है। किराये बढ़ने से लोग फिर अपने वाहनों का अधिक इस्तेमाल करेंगे, जिससे ये समस्याएं उग्र होंगी।
संजय स्वामी, शाहदरा, दिल्ली

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