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जमीनी हकीकत 

मोदी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, देश में अब 1,197 शहर खुले में शौच से मुक्त हैं। हाल ही में उत्तराखंड व हरियाणा को भी ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) राज्यों की श्रेणी में शामिल किया गया है। सरकारी आकड़ों...

जमीनी हकीकत 
नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तानThu, 03 Aug 2017 10:03 PM
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मोदी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, देश में अब 1,197 शहर खुले में शौच से मुक्त हैं। हाल ही में उत्तराखंड व हरियाणा को भी ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) राज्यों की श्रेणी में शामिल किया गया है। सरकारी आकड़ों की मानें, तो यह प्रशंसनीय है, परंतु क्या ये वाकई सच आंकड़े हैं? आप कभी रेल से उत्तराखंड की यात्रा करें, तो आपको सुबह-सुबह कितने ही लोग खुले में शौच करते हुए दिखेंगे। हरियाणा की हालत भी इससे परे नहीं है। और तो और, देश की राजधानी दिल्ली में हालात ज्यादा गंभीर हैं। मयूर विहार, सीलमपुर, पुरानी दिल्ली आदि की झुग्गी-बस्तियों में रह रहे लोगों के लिए में खुले में शौच के लिए जाना आम बात है। इससे न सिर्फ बीमारियों को आमंत्रण मिलता है, बल्कि विदेशी पर्यटकों के आगे देश की छवि भी खराब होती है। सरकार को यह समझना होगा कि मात्र शौचालय के निर्माण से किसी क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त घोषित नहीं किया जा सकता। जब तक लोगों को शौचालय का प्रयोग करने को प्रेरित नहीं किया जाएगा, तब तक इस दिशा में लिए गए कदम पूर्ण रूप से सफल नहीं होंगे। 
गौरव पंत, नई दिल्ली

 

हम पीछे जा रहे हैं 
हमारे प्रधानमंत्री से समस्त युवा पीढ़ी को बहुत उम्मीदें हैं कि वह अपनी महत्वपूर्ण योजनाओं में मेरे जैसे बेरोजगार नौजवानों के लिए कुछ न कुछ रोजगार और आय की व्यवस्था करेंगे, परंतु अभी तक ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है। योजनाएं तो उन्होंने बहुत बनाईं, परंतु उनका लाभ अभी तक सही लोगों के पास नहीं पहुंचा। इसलिए मेरा यह निवेदन है कि योजनाओं का लाभ सभी को मिले, इस बात पर ध्यान दिया जाए।
रमेश कुमार माइती, चास, बोकारो

 

जनता के हक में 
बिहार में आए हालिया राजनीतिक भूचाल को लेकर तरह-तरह की बहसें जारी हैं। जहां एक तरफ कथित भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में तकलीफ झेल रहा परिवार अपनी दलीलें देने में लगा है कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया और हम पाक-साफ हैं, तो वहीं दूसरी तरफ सुशासन बाबू का कहना है कि  उनकी अंतरात्मा झकझोरने लगी थी कि  दागियों के साथ रहना अब और संभव नहीं है और उनसे अलग होने में ही भलाई है। मुख्यमंत्री के इस फैसले पर राजनीतिक पंडित चाहे कुछ भी विचार रखें, लेकिन सच्चाई यही है कि आम जनता के हितों के लिहाज सें नीतीश कुमार का यह फैसला बहुत ही बढ़िया है। आम जनता विकास और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की आशा करती है। इसमें बुराई ही क्या है? अगर राज्य सरकार केंद्र की सरकार के साथ तालमेल बनाकर चले, तो जनता का भला होना निश्चित है। हमें नीतीश कुमार द्वारा उठाए गए हालिया कदम की सराहना करनी चाहिए, न कि इसकी आलोचना करनी चाहिए।
राकेश सिंह

 

राजनीति में सब जायज  
देश की राजनीति किस दिशा में जा रही है, यह अत्यधिक चिंता का विषय है। कांग्रेस ने गुजरात के अपने 40 विधायक बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में इसलिए छिपा रखे हैं कि भाजपा कहीं उन्हें बहला-फुसलाकर अपने पाले में न कर ले। कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री शिवकुमार इन सभी विधायकों की मेजबानी कर रहे हैं। लेकिन इसी समय आयकर विभाग ने दिल्ली, बेंगलुरु में शिवकुमार के 64 ठिकानों पर अभियान चलाकर छापेमारी की। इन ठिकानों में वह रिजॉर्ट भी है, जहां सभी विधायक ठहराए गए हैं। सवाल यह है कि शिवकुमार के ठिकानों पर छापेमारी का यह अभियान इसी वक्त क्यों चलाया गया? केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग की बात हर पार्टी की सरकार में होती रही है। भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में रहते समय इस मुद्दे को बार-बार उठाती रहती थी। तो क्या अब केंद्र की सत्ता पाने के बाद भाजपा भी वही सब कुछ कर रही है? देश के लोगों को इस बात को समझने की आवश्यकता है।
बृजेश श्रीवास्तव, गाजियाबाद
 

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