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जिले में 9 हजार हेक्टेयर में हुई गेहूं की बुआई

इस साल बाढ़ और बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। बाढ़ के बाद बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि खरीफ की फसल तो मारी ही गई, अब रबी की खेती भी संकट में है। बाढ़ और बारिश का पानी की वजह से निचले...

जिले में 9 हजार हेक्टेयर में हुई गेहूं की बुआई
हिन्दुस्तान टीम,सुपौलFri, 27 Nov 2020 10:40 PM
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इस साल बाढ़ और बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। बाढ़ के बाद बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि खरीफ की फसल तो मारी ही गई, अब रबी की खेती भी संकट में है। बाढ़ और बारिश का पानी की वजह से निचले इलाकों की खेतों में अब भी अधिक नमी है। इस वजह से कई खेतों में अभी तक रबी की बुआई नहीं हो सकी है।

डभारी के किसान विनोद सिंह, फूलदेव सिंह, कपिलेश्वर यादव, किशनपुर के गांगा यादव सहित अन्य किसानों का कहना है कि खेतों में जमे पानी को सूखने में महीनों लग गया। इस वजह से रबी फसल पछता होने तय है। हालांकि कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सदर प्रखंड के अलावा सरायगढ़ और किशनपुर प्रखंड के दो सौ से ढाई सौ हेक्टेयर निचले इलाके की खेतों में नमी ज्यादा है, जहां देर दिसंबर के अंत तक बुआई होने की उम्मीद है। कृषि विभाग के मुताबिक इस साल 60 हजार हेक्टेयर में गेहूं अच्छादान का लक्ष्य है। इसमें से 15 फीसदी यानि 9 हजार हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। उधर, किसानों की मानें तो बीज समय पर नहीं मिलने से भी गेहूं की बुआई में देरी हो रही है।

प्रतापगंज के किसान विष्णुदेव यादव, किशन प्रसाद यादव, विद्यानंद यादव आदि का कहना है कि खेत तैयार हुए दस दिन से अधिक हो गए लेकिन बीज नहीं मिला। इस वजह से भी गेहूं बुआई की रफ्तार सुस्त है। कृषि वैज्ञानिक मनोज कुमार ने बताया कि 15 नवंबर से दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक बुआई का उपयुक्त समय होता है।

इससे स्वस्थ्यपौधे निकलते हैं और उत्पादन भी अच्छा होता है। उन्होंने किसानों से बीजोपचार के बाद ही बुआई करने की सलाह दी है। इससे पौध स्वस्थ्य रहेगा और उत्पादन बढ़ेगा।

पिपरा प्रखंड के कटैया में मक्का की फसल। फोटो: हिन्दुस्तान

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