अपनों का दर्द भूल सेवा में जुटे
सदर अस्पताल में संदिग्ध मरीजों का सैंपल लेकर उसकी देखभाल में लगे लैब टेक्नीशियन अपनों का दर्द भूल गए हैं। इन्हें हर वक्त संदिग्धों के आने और उसका सैंपल कलेक्ट करने की चिंता रहती है। सदर अस्पताल में...
सदर अस्पताल में संदिग्ध मरीजों का सैंपल लेकर उसकी देखभाल में लगे लैब टेक्नीशियन अपनों का दर्द भूल गए हैं। इन्हें हर वक्त संदिग्धों के आने और उसका सैंपल कलेक्ट करने की चिंता रहती है। रात हो या दिन कॉल आते ही पीपीई कीट पहनकर जरूरी उपकरणों के साथ संदिग्धों का सैंपल लेने पहुंच जाते हैं। एक साथ करीब 10 से अधिक लोगों का सैंपल लेने के बाद ही बाहर निकलते हैं। इनकी उम्र बेशक 35 से 40 साल के बीच है पर जिम्मेदारी के मामले में इन लोगों ने बड़ों को पीछे छोड़ दिया है। खास बात यह है कि दोनों टेक्नीशियन संविदा पर कार्यरत हैं। जिलेभर से आए संदिग्धों का सैंपल लेने वालों में ठाकुर चंदन सिंह और आशीष सिंह शामिल हैं। सबसे ज्यादे इन्हें संक्रमण का खतरा रहता है लेकिन खुद के जान की परवाह किए बिना जिले को सुरक्षित करने के लिए दोनों युवा टेक्नीशियन महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान इनके काम करने का तरीका भी बदल गया है। अब तक जिले में 347 सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भेजा जा चुका है। बातचीत में छलका टेक्निीशियन का दर्द : पूरा विश्व जहां कोरोना संक्रमण से भयभीत है। चकला निर्मली के रहने वाले ठाकुर चंदन सिंह ने कहा कि जीवन में कभी सोचा नहीं था कि ऐसे दिन आएंगे। बहुत मन करता है बच्चों को गोद में लेकर घूमें लेकिन संक्रमण के डर से सभी इच्छाओं को मार दिया है। कोरोना महामारी के चलते चुनौती है लेकिन इस लड़ाई में एक सैनिक की भूमिका निभा रहा हूं। बरैल के रहने वाली आशीष कुमार सिंह ने बताया कि 27 मार्च से सैंपल लेने का काम शुरू हुआ था। उसी दिन से घर के बाहर सोना, खाना होता है। मां-बाप, पत्नी और बच्चे से दूर रह रहे हैं। कहा कि कोरोना को हराना ही हमारा लक्ष्य है।