Devotion at Nirmla Durga Mandir A Spiritual Center in Supaul-Pipra सुपौल : प्रखंड समेत आसपास के लोगों की आस्था का केंद्र है निर्मली दुर्गा मंदिर, Supaul Hindi News - Hindustan
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सुपौल : प्रखंड समेत आसपास के लोगों की आस्था का केंद्र है निर्मली दुर्गा मंदिर

सुपौल-पिपरा के निर्मली दुर्गा मंदिर की स्थापना लगभग सात दशक पहले ग्रामीणों द्वारा की गई थी। यहां की पूजा अर्चना और श्रद्धा का केंद्र बनने के बाद, श्रद्धालुओं का विश्वास है कि माता की कृपा से...

Newswrap हिन्दुस्तान, सुपौलSat, 27 Sep 2025 11:07 PM
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सुपौल : प्रखंड समेत आसपास के लोगों की आस्था का केंद्र है निर्मली दुर्गा मंदिर

पिपरा, एक संवाददाता। सुपौल-पिपरा के मध्य स्थित निर्मली दुर्गा मंदिर प्रखंड समेत आसपास के लोगों का आस्था एवं श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। करीब सात दशक पूर्व इस मंदिर की स्थापना ग्रामीणों द्वारा की गई। आज भी लोगों का अटूट विश्वास यहां स्थापित माता पर है। भले ही यह कोई शक्तिपीठ नहीं है। परन्तु आसपास के लोगों के लिए यह किसी पीठ से भी कम नहीं है। ग्रामीणों की मानें तो यहां बहुत पूर्व एक पीपल का पेड़ था। जहां शाम होते ही आसपास सुगंधित हो जाता था। परन्तु लोग इस ओर ध्यान नहीं देते थे। कहते हैं कि गांव के ही एक व्यक्ति को स्वप्न आया कि तुम सभी पीपल के नीचे पूजा करो।

परन्तु उसने स्वप्न समझ कर इस बात को अपने अंदर ही रखा। कुछ दिनों के बाद ही दुर्गा पूजा का समय नजदीक आ गया था। शाम ढ़लते ही इस पीपल के नीचे अजीब तरह की आवाज सुनाई पड़ रही थी। ग्रामीण बताते हैं कि जब गांव के लोग वहां पहुंचे तो वहां कुछ नहीं दिखाई दिया। सिर्फ एक अलग प्रकार की सुगंध आ रही थी। यह घटना दो दिनों तक चलती रही। बाद में ग्रामीण को किसी न किसी देवी-देवता के प्रवास का आभास हुआ और वर्ष 1956 में वहां एक फूस का घर बना कर माता दुर्गा की प्रतिमा बनाकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई। बाद में ग्रामीणों की मदद यहां भव्य मंदिर बना दिया गया। तब से आज तक यह परंपरा कायम है और लोगों के आस्था का केन्द्र बना हुआ है। श्रद्धालुओं का ऐसा विश्वास है कि सच्चे दिल से जो भी यहां मन्नतें मांगी जाती है, वह पूरी हो जाती है। खासकर जब लोग अति कष्ट में होते हैं तो यहां आते ही वह भले-चंगे हो जाते हैं। कलश स्थापना के सातवें पूजा से ही यहां बलि प्रदान दी जाती है। लेकिन नवमीं के दिन यहां बलि प्रदान करने वालों की तादाद काफी अधिक होती है। जिनकी मनोकामना पूर्ण होती है अन्य दिन भी आकर माता के दरबार में बलि चढ़ाते हैं।

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