सूची बनाने के लिए असमंजस में जनप्रतिनिधि
बाढ़ का संकट टलने के बाद अब राहत और मुआवजा देने के लिये सर्वेक्षण सूची बनाने को लेकर जनप्रतिनिधि असमंजस में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर बाढ़ पीड़ितों की सूची बने तो कैसे। प्रशासन ने राशन कार्ड...
बाढ़ का संकट टलने के बाद अब राहत और मुआवजा देने के लिये सर्वेक्षण सूची बनाने को लेकर जनप्रतिनिधि असमंजस में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर बाढ़ पीड़ितों की सूची बने तो कैसे। प्रशासन ने राशन कार्ड के आधार पर सूची तैयार करने को कहा है लेकिन समस्या यह है कि कई बाढ़ पीड़ितों के पास राशन कार्ड है ही नहीं। बाढ़ पीड़ितों को भी सही-सही जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि मुखिया और वार्ड सदस्य रोज नया-नया कानून बताने लगते हैं। बाढ़ पीड़ितों को यह आशंका भी सता रही है कि हर बार की तरह कहीं इस बार भी सही पीड़ितों की जगह फर्जी पीड़ितों को राहत और मुआवजा न मिल जाए। इन सारी समस्याओं को लेकर मरौना दक्षिण पंचायत के मिडिल स्कूल मरौना के बरामदे पर बुधवार को एक बैठक हो रही थी। मुखिया अनिता देवी के प्रतिनिधि उनके भैंसुर भरत यादव, सरपंच चंद्रकला देवी के पति पूर्व सरपंच निर्मल मेहता सहित अन्य लोग मौजूद थे। सूची की चर्चा करते हुए श्री यादव ने कहा कि एसडीएम ने सभी मुखिया की बैठक में कहा था कि राशन कार्ड के अनुसार सूची तैयार की जाएगी। राशनकार्ड का नंबर सूची में रहना जरूरी है। इसपर वार्ड सदस्य के पति मो.वकील, वार्ड सदस्य इसराफिल, अब्दुल जलील, नसरा खातून, फिरोजा खातून, राजेन्द्र साफी, श्रीलाल सदा, रविंद ठाकुर आदि ने कहा कि जिन पीड़ितों का राशनकार्ड नहीं बना है और उनका घर कट गया है तो क्या सूची में उनका नाम दर्ज नहीं होगा। इसके लिए अलग से सूची बनाकर देने की बात उठी लेकिन सहमति नहीं बनी। पूर्व सरपंच श्री मेहता ने कहा कि सरकार को राहत देने का मन नहीं है। रोज नया-नया नियम लागू हो रहा है। जहां दो हजार चूड़ा का पैकेट देना था वहां 700 दिया गया। आपदा विभाग से भेजी गई लिस्ट में एक भी पंचायत के लोगों का नाम पता ठीक नहीं है। इस पर डीएम से भी बात की गई। डीएम ने अनुश्रवण समिति से सूची पास कराकर अविलम्ब देने को कहा। हालांकि बैठक में कोई हल नहीं निकला।