Hindi Newsबिहार न्यूज़You tell a lot Prime Minister but you do not listen at all What advice did Manoj Jha give to PM Modi

आप सुनाते बहुत हैं प्रधानमंत्री जी, सुनते बिल्कुल भी नही हैं; मनोज झा ने पीएम मोदी को क्या नसीहत दी ?

मनोज झा ने प्रधानमंत्री और भाजपा को कई मुद्दों पर घेरते हुए जमकर हमला बोला। उन्होंने नीती आयोग, शहीद और युवाओं के बारे में बात की। पीएम मोदी को नसीहत दे डाली कि उन्हें सुनने की कला विकसित करना चाहिए।

आप सुनाते बहुत हैं प्रधानमंत्री जी, सुनते बिल्कुल भी नही हैं; मनोज झा ने पीएम मोदी को क्या नसीहत दी ?
Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, पटनाSat, 27 July 2024 08:54 AM
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"प्रधानमंत्री जी आप अब भी नहीं समझ पा रहे हैं। ये मेंडेट आपको सुनने के लिए दिया गया है, 'डेवलप दि आर्ट ऑफ लिशनिंग। आप सुनाते बहुत हैं प्रधानमंत्री जी, सुनते बिल्कुल भी नही हैं। सुनिए। आपका भी भला होगा देश का भी भला होगा"। ये बात मनोज झा ने अपने इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी के लिए कही हैं। मनोज झा ने शहीदों, योजना आयोग जैसे तमाम मुद्दों पर बेबाकी से बात की। उन्होंने कहा कि जवान की शहादत पर हम सब श्रद्धांजली देते हैं, लेकिन संसद में इसकी चर्चा नहीं हो पाती है। आगे उन्होंने नीति आयोग को पूरी तरह असफल बताते हुए फिर से योजना आयोग को लागू करने की भी सलाह दी। साथ ही नेहरु के संसदीय लोकतंत्र के विचार को आज भी प्रासंगिक बताते हुए वर्तमान सरकार की आलोचना की। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा। 

जवानों की शहादत पर क्या बोले मनोज झा
जब जवान की शहादत होती है, जब तिरंगे में लिपटा हुआ जवान का शव आता है तो हम सब श्रृद्धांजली देते हैं। मगर फिर उसके बाद संसद में इसकी चर्चा नहीं होती है। आज तक संसद को पता नहीं चला कि पुलवामा में क्या हुआ था, क्या देश को जानने का अधिकार नही है ? जिन जवानों की शहादत होती है, उनके परिवार में शहादत की तस्वीर रह जाती है। वो कहानियां हम एड्रेस नहीं कर पा रहे हैं, ये असफलता है हमारी केंद्रीय सरकार की। मैं तो देखता हूं कि सीने पर ठोक-ठोक कर बोलते थे कि 370 हटा दी तो ये होगा। क्या कर रहे हो भाई? कहां हो क्या पहल की है? 

नीति आयोग को असफल क्यों बताया
नीती आयोग है क्या भाई? एक अकेडमिक एक्सरसाइज के लिए प्रधानमंत्री जी ने एक बॉडी बना दी। इसका हासिल क्या है, शुन्य बटा शन्नाटा। प्लानिंग कमीशन से क्या दिक्कत थी, सिर्फ इतनी न कि ये नेहरु के जमाने से थी। नेहरु के जमाने से तो कई चीजें आप ढ़ो रहे हैं। मजबूरी है आपकी। संसदीय लोकतंत्र नेहरु की कल्पना के बगैर नहीं चल सकती। चाहे आप तीसरा टर्म ले लें, लेकिन हकीकत नहीं बदल सकती। हककीत बदलेगी जब आप ठोस पहलकदम करते हैं और मैं वहां नीति आयोग को असफल मानता हूं। यह एक असफल आइडिया है। तो जाहिर तौर पर आपको इसे रिवाइव ( फिर से जीवित करना) करना चाहिए। और जो 240 वाला मेंडेट है बीजेपी का उसका भी संदेश यही है कि 'कलैक्टिव शुड वी रिस्टॉर्ट'( सामूहिकता को बहाल करना चाहिए)। 

विपक्ष द्वारा युवाओं को बरगलाने पर क्या कहा
मुझे बेहद दुख होता है कि प्रधानमंत्री जैसा व्यक्ति कहता है कि विपक्ष बरगला रहा है। अरे युवाओं को बरगला लेंगे हम, इतनी हमारी हैसियत नहीं है। कभी प्रधानमंत्री जी सीधा संवाद नहीं करते हैं। उन युवाओं से बात कीजिए जो सेना में भर्ती होने के लिए कोशिश कर रहे हैं। सेना क्या सोचती थी ये सुनिए आप। प्रधानमंत्री जी आप अब भी नहीं समझ पा रहे हैं। ये मेंडेट आपको सुनने के लिए दिया गया है, 'डेवलप दि आर्ट ऑफ लिशनिंग। आप सुनाते बहुत हैं प्रधानमंत्री जी, सुनते बिल्कुल भी नही हैं। सुनिए। आपका भी भला होगा देश का भी भला होगा। असल में पूरी की पूरी सरकार व्हाट्सएप फॉरर्वड पर चल रही है। सरकार के निर्णयों में कमी इसी की वजह से है।

 

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