ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहारजो इच्छा हो मांग करें शिक्षक, पर बच्चों को जरूर पढ़ायें : CM नीतीश

जो इच्छा हो मांग करें शिक्षक, पर बच्चों को जरूर पढ़ायें : CM नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों का हमने हमेशा ख्याल रखा है और आगे भी रखेंगे। इनकी बेहतरी और लाभ देने के संबंध में हमने शिक्षा विभाग को आदेश दिया है। जितना संभव होगा करते रहेंगे।...

जो इच्छा हो मांग करें शिक्षक, पर बच्चों को जरूर पढ़ायें  : CM नीतीश
पटना हिन्दुस्तान टीमThu, 05 Sep 2019 11:05 PM
ऐप पर पढ़ें

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों का हमने हमेशा ख्याल रखा है और आगे भी रखेंगे। इनकी बेहतरी और लाभ देने के संबंध में हमने शिक्षा विभाग को आदेश दिया है। जितना संभव होगा करते रहेंगे। पर, शिक्षकों से मेरा आग्रह है कि वे अपना मूल दायित्व नहीं भूलें। जब जो इच्छा करे मांग करते रहिए। कोई परेशानी की बात नहीं है। पर बच्चों को पढ़ाइए जरूर। पढ़ाई छोड़ के भाग कर कोई काम नहीं करें। इससे हमलोगों को तकलीफ होती है। बिहार ज्ञान की भूमि है। यहीं पर हमारे बच्चे पढ़ नहीं पायें तो यह हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा।  

मुख्यमंत्री गुरुवार को शिक्षक दिवस के दिन श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में 20 शिक्षकों को राज्य पुरस्कार से सम्मानित करने के बाद समारोह में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम शिक्षकों का सम्मान करते हैं और करते रहेंगे। चाहे वे लोग जितना मर्जी मेरे ऊपर बोलें। बिहार में शिक्षा पर 2005 के बाद जो काम हुए, उन्हें याद कीजिए। 2005 में हमलोगों को बिहार में काम करने का मौका मिला तो शिक्षा मित्र के रूप में कार्यरत शिक्षकों को 1500 महीना मानदेय मिलता था। हमलोगों ने ग्राम पंचायतों और नगर निकायों को शिक्षकों के नियोजन का अधिकार दिया। बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति हुई। शिक्षा मित्र भी इसमें शामिल हुए। अप्रशिक्षित नियोजित शिक्षकों को 4000 और प्रशिक्षित को पांच हजार नियत वेतन दिया जाने लगा। फिर 2015 में हमलोगों ने नियोजित शिक्षकों के लिए वेतनमान लागू किया। 2016-17 में सातवें वेतन की अनुशंसाएं नियोजित शिक्षकों को प्रदान की गईं। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा में सुधार के लिए शुरू से ही प्रयासरत रहा।  21 हजार नये स्कूलों का निर्माण हुआ। नयी-नयी कक्षाएं बनीं। मिडिल स्कूल में भी काफी कम लड़कियां जाती थीं। पोशाक योजना और साईकिल योजना शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में लड़कियां हाई स्कूल में भी जाने लगीं। 2005 में बिहार में शिक्षा का बजट 4261 करोड़ था, जो बढ़कर 2018-19 में 32126 करोड़ हुआ। 

किसी के बहकावे में नहीं आयें शिक्षक 
मुख्यमंत्री ने कहा कि नियोजित शिक्षकों को मेरे खिलाफ जितना नारा लगाना हो लगाइए। मुझे इससे कोई तकलीफ नहीं है। पर, याद रखिये कि जो लोग आज आपको बहकाने में लगे हैं, उन्हीं लोगों ने 2008 में एक पुस्तिका प्रकाशित कर कहा था कि प्राथमिक विद्यालयों में पिछले तीन साल में अयोग्य शिक्षकों की बहाली कर शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया है। जो आपको आयोग्य करार दिये, वे आज तरह-तरह की बात करते हैं। मुख्यमंत्री का इशारा विपक्षियों पर था। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि चिंता मत कीजिएगा जो भी करना होगा आपलोगों के लिए हम ही लोग करेंगे। हमनें कभी आपको अयोग्य नहीं कहा। 

सीएम ने इन 20 शिक्षकों को किया सम्मानित
संत कुमार सहनी-बेगूसराय, 
डॉ अभय कुमार रमण-पूर्वी चंपारण, 
डॉ गणेश शंकर पांडेय-नालंदा, 
मनोज कुमार यादव-सीतामढ़ी, 
अवधेश पासवान-भागलपुर, 
देवेंद्र सिंह-गया, 
जितेंद्र कुमार-पश्चिम चंपारण, 
ललिता कुमारी-पूर्णियां, 
सत्यनाराण-सीतामढ़ी, 
संगीता चौधरी-सीतामढ़ी, 
अमरनाथ त्रिवेदी-मुजफ्फरपुर, 
सनाउल्लाह शाह-पश्चिम चंपारण, 
बबीता कुमारी-सुपौल, 
सुमन सिंह-बांका, 
कविता प्रवीण-नालंदा, 
डॉ नम्रता आनंद-पटना, 
कुमारी खुशबू-मधुबनी, 
सुनैना कुमारी-नालंदा, 
शालिनी सिन्हा-पटना 
सबीहा फैज-भागलपुर।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें